Dnyansuryachi Savli

· Storyside IN · Pallavi Wagh ଦ୍ଵାରା ବର୍ଣ୍ଣନା କରାଯାଇଛି
ଅଡିଓବୁକ୍
16 ଘ. 34 ମି.
ଅସଂକ୍ଷିପ୍ତ ଅଟେ
ଯୋଗ୍ୟ
ରେଟିଂ ଓ ସମୀକ୍ଷାଗୁଡ଼ିକୁ ଯାଞ୍ଚ କରାଯାଇନାହିଁ  ଅଧିକ ଜାଣନ୍ତୁ
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ଯୋଡ଼ନ୍ତୁ

ଏହି ଅଡିଓବୁକ୍ ବିଷୟରେ

...नामदेव पुढे झाले. त्यांनी सोपानाच्या पायांवर लोळण घेतली. सोपानानं डोळे उघडले. वाकून त्यानं नामदेवांना उठवलं. दुस-या क्षणाला नामदेवांनी सोपानाला घट्ट मिठी मारली. इतकी घट्ट, की जणू ती कुणी सोडवणं शक्य नव्हतं. जणू ते सोपानाला जाऊच देणार नव्हते. एका मिठीला इतके अर्थ असू शकतात? काय नव्हतं त्या मिठीत? सोपानाला अडवण्याची जिद्द, तो समाधी घेणार म्हणून होणा-या वियोगाचं दु:ख, आपण त्याला थांबवू शकत नाही म्हणून वाटणारी असाहाय्यता, त्याच्या वियोगाची वेदना, एवढ्या लहान वयातली त्याची स्थितप्रज्ञता बघून वाटणारं कौतुक, त्याचा निरागस चेहरा बघून पोटातून तुटून येणारी माया, त्याच्या अलौकिक बुद्धिसामथ्र्याला केलेलं वंदन, या पुण्यात्म्याचा सहवास आपल्याला लाभला म्हणून वाटलेली धन्यता, आपल्यापेक्षा वयानं कितीतरी लहान असलेल्या या पोराला समाधी घेताना बघण्याचं करंटेपण आणि या सर्वांवर कळस, म्हणजे मनात अतिपूज्य भावना असल्यामुळे ज्ञानोबा माउलीला आपण अशी घट्ट मिठी मारू शकलो नाही, म्हणून आता त्या ज्ञानसूर्याचीच सावली असलेल्या सोपानाला आपण घट्ट मिठी मारतो आहोत, याची सार्थकता. एका मिठीमध्ये एवढ्या भावभावना सामावलेल्या असतात, हे नामदेवांनाही उमजलं नसेल; पण नामदेवांनी सोपानाला कडकडून मारलेली मिठी भिजलेल्या डोळ्यांनी बघणा-या जनाबाईंना मात्र हे सगळे सगळे अर्थ समजले....

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