Do Bata Shunya

Ukiyoto Publishing · Lest av Hanisha med AI (fra Google)
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प्रस्तुत उपन्यास 'दो बटा शून्य' काव्या पब्लिकेशंस से प्रकाशित होने वाली डॉ. संजीव कुमार चौधरी की विगत चार वर्षों में पांचवीं पुस्तक है। उनके लेखन की गति ने संभवतः देश के सभी लेखकों को पीछे छोड़ दिया है और उनकी लेखनी की गति की विशेषता यह है कि गद्य और पद्य दोनों विधाओं को समृद्ध किया है। जीवन का लम्बा समय मरीजों की शल्य चिकित्सा को समर्पित करने के बाद दूसरे अर्द्ध में साहित्य के प्रति समर्पित हो जाना अनायास नहीं हो सकता, अतः निश्चित ही डॉ. संजीव प्रसिद्ध लेखकों की तरह जन्मजात लेखक होने का आभास देते हैं।

'दो बटा शून्य' उनकी कलम से निकला पहला उपन्यास है पर जैसे जैसे हम कथानक के साथ आगे बढ़ते हैं, उसका जादू सिर चढ़ता जाता है।भाषा शैली इतनी आम समझ वाली है कि पढ़ने की गति भी आप ही कूदने फांदने लग जाती है। उपन्यास के पात्र और चरित्र परिस्थितियों और समय से टकराते, मस्तिष्क में जीवंत दृश्य निर्मित करते हैं। कथानक को यहां संक्षिप्त में प्रस्तुत करना भी पाठक के साथ अन्याय लग रहा है, अतः उसके वर्णन का लोभ छोड़ते हुए इसे पढ़ने का सुझाव अवश्य देना चाहूंगा।


अजय अग्रवाल

प्रकाशक

काव्या पब्लिकेशंस


सृजनात्मक कौतूहल जगाने के साथ साथ रिश्तों की कशमकश से रुबरु कराता एक रोचक उपन्यास

- श्री राजेश कुमार सिन्हा

साहित्यकार, मुंबई


गोदान कृषकों का महाकाव्य है तो 'दो बटा शून्य' विद्यार्थियों का महाकाव्य, जीवन की असीम संभावनाएं लिए जिंदगानी का वृहद समाज शास्त्र

- श्री जीतेन्द्र निर्मोही

ख्यातिलब्ध उपन्यासकार

राजस्थान


अत्यंत भावनात्मक कथानक - पत्नी के असामयिक निधन से सन्नाटे में पड़ा नायक बाल सखा से मुलाकात द्वारा जीवन में इंद्रधनुषी सतरंगी छटा बिखेरने की उम्मीद में सृजनात्मक उर्जा से परिपूर्ण ....।

- डॉ. अनूप शर्मा

मनोचिकित्सक

अमेरिका

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