Mrugaya (Sushi Katha)

· Sushi Katha पुस्तक 17 · Storyside IN · Swapnil Rajshekhar की आवाज़ में
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काय रे, क्षिप्राला मरताना किती वेदना झाल्या असतील असं वाटतं तुला? येस, आय ॲम द अथॉरिटी. राईट यू आर! मी सांगतो- एक सेकंदभर मेंदूतल्या सगळ्या व्हेनस् आक्रसत उलटया-पालट्या झाल्यासारखं वाटतं. असह्य वेदनांनी श्वास गुदमरतो. डोळेबाहेर पडल्यासारखे वाटतात आणि मग... एक जाऽड...जाड शांतता! दॅटस् द फायनल फीलिंग-एव्हरलास्टिंग! तू बाऊ करतोयस तितकं हे फीलिंग वाईट नसतं मित्रा. शेवटी आपण तरी काय, शांतता मिळावी म्हणूनच प्रयत्नशील असतो की! मग, हे फीलिंग तर शांततेचा परमोच्च बिंदू आहे! आणि, इटस् सो सिम्पल! एका शिकार्‍याची आणि त्याच्या सावजाच्या पाठशिवणीची खास सु.शि. शैलीतील थरारकथा 'मृगया' ऐका स्वप्नील राजशेखर यांच्या आवाजात.

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