Shaheed Udham Singh

· Storyside IN · वाचक Amrinder Singh Sodhi
४.५
२ समीक्षाहरू
अडियोबुक
4 घन्टा 8 मिनेट
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अपने देशवासियों पर घोर अत्याचार होता देखकर युवा ऊधम सिंह का खून खौल उठा। उसने तय किया कि भारतीयों के मान-सम्मान को कुचलने के इरादे से किए गए जलियावाले हत्याकांड का वह बदला अवश्य लेगा। ऊधम सिंह के अंदर प्रतिशोध और देशभक्ति की ज्वाला इतनी तीव्र हो गई थी कि जब कुछ सालों बाद उसे पता चला कि गोलीकांड करवानेवाला ब्रिगेडियर जनरल ई. एच. डायर इंग्लैंड जाकर बेहद बीमार हो गया और फिर कुछ साल तक बीमारी झेलते-झेलते उसकी मौत हो गई तो वह काफी निराश हुआ। पंजाब से निकलकर इंग्लैंड जाने और बड़े अंग्रेज अफसरों तक पहुँचने का सफर ऊधम सिंह के लिए आसान नहीं रहा। हालाँकि कठिनाइयों का सामना करने की आदत तो उसे बचपन से ही पड़ गई थी। ऊधम सिंह के बचपन से लेकर क्रांतिकारी बनने और जलियाँवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने तथा मातृभूमि के लिए फाँसी के फंदे पर झूलने तक की कहानी इस पुस्तक में दी गई है।

मूल्याङ्कन र समीक्षाहरू

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