पासा पलट गया: सूर्या की माँ राधा की दर्दनाक मौत हो जाती है. उसे पता चलता है कि राधा उसकी असली माँ नहीं है. वो बहुत दुखी और बेचैन हो जाता है. उसके मन में ढेरों सवाल घूम रहे हैं, अब वो competition में भाग लेना नहीं चाहता. आधे-अधूरे दुखी मन से सूर्या आर्चरी ग्राउंड में पहुंचता है, वहीं दूसरी तरफ जोश से भरपूर अर्णव उसके सामने होता है. वो अपने बेहतरीन प्रदर्शन से प्वाइंट्स gain करता जाता है. दुखी और बेचैन सूर्या क्या करेगा? क्या अधूरा रह जायेगा सूर्या का सफ़र? या एकबार फिर होगा चमत्कार...?
Beletristika i književnost