नदी किनारे आँधी-पानी में निराश्रय खड़ा रहना किसी के लिए भी आसान नहीं। शाम हो गई, पर आँधी-पानी ने थमने का नाम नहीं लिया। अब नगेंद्र ने कोई आश्रय तलाशना जरूरी समझा। सो वे गाँव की ओर चल पड़े। नदी से गाँव कुछ दूर था। नगेंद्र कीचड़सने रास्ते पर पैदल ही जा रहे थे। इस बीच बारिश भी थम गई आँधी भी। मगर आसमान में अभी तक घने मेघ छाए हुए थे, रात को दोबारा बारिश होने की पूरी संभावना थी, सो नगेंद्र आगे ही चलते रहे, वापस नहीं लौटआसमान में काले मेघ होने के कारण रात होने से पहले ही चारों ओर तक घनघोर अंधकार छा गया। गाँव, घर, मैदान, रास्ते आदि कुछ नजर नहीं आ रहे थे। वातावरण में चारों तरफ जंगली पेड़-पौधे फैले हुए थे। बीच-बीच में गर्जन-रहित मेघों में बिजली कौंध पड़ती थी। अभी-अभी समाप्त हुई बारिश से प्रसन्न होकर मेंढक खूब शोर मचा रहे थे। े।