देवी सीता की दिव्य यात्रा
साधना पथ और दिव्य गुण
– अनेक संघर्षो के बावजूद जीवन में कैसे उच्च निर्णय लें?
– मुश्किलातों में अपने आपको संभालकर, स्वयं को प्रेरित कैसे करें?
– दूसरों की भावनाओं को समझकर, उनका सम्मान कैसे करें?
– अपनी गलतियों से सीख लेते हुए, उन्हें कैसे सुधारें?
– जीवन के छोटे-मोटे सुखों और खुशियों का मूल्य कैसे परखें?
– भय का सामना करते हुए उनसे कैसे निपटें?
– अपने भीतर सद्गुणों को कैसे जगाएँ?
ये सवाल यदि आपके हैं तो इनके जवाब जानने के लिए झाँकिए देवी सीता के जीवन में! अनेक विकट प्रसंगों का सामना करते हुए भी कैसे उन्होंने अपना जीवन लक्ष्य प्राप्त किया, यह विस्मयकारी है।
‘सिया-राम मय सब जग जानी’ यह रहस्य जग जाहिर है। इसका मतलब है पूरा जग सीता-राम से परिपूर्ण है, सभी में ईश्वर का वास है। इसे स्पष्ट करने के लिए आज तक जो भी ग्रंथ रचे गए, उनमें श्रीराम का स्वरूप प्रमुखता से व्यक्त हुआ। नींव के पत्थर की तरह माता सीता अव्यक्त रहीं। यह ग्रंथ माता सीता के अव्यक्त रूप को चित्रित कर, पाठकों के जीवन को सिया-राममयी बनाने का सामर्थ्य रखता है।
माता सीता का पूरा जीवन श्रीराम की आराधना और साधना में बीता। जिन दिव्य गुणों के सहारे वे हर घटना, हर परिस्थिति में साधनारत होकर, अनुभव रूपी राम के सानिध्य में रहीं, वे दिव्य गुण इस ग्रंथ में समाहित किए गए हैं। जिनका पठन व मनन कर, इंसान के अंदर प्राकृतिक रूप से विद्यमान किंतु सुप्त सद्गुण अंकुरित होंगे और जो गुण अंकुरित हो चुके हैं, वे पल्लवित होने लगेंगे।
तब जीवन दिव्य गुणों से भरपूर होगा। फलतः श्रीराम रूपी अनुभव की अभिव्यक्ति होगी तथा मानव जीवन सार्थक बनेगा।
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Sirshree is a spiritual maestro whose key teaching is that all paths that lead to truth begin differently but end in the same way—with understanding. Listening to this understanding is enough. Sirshree has delivered more than a thousand discourses and written over forty books on spirituality and self-help. He is the founder of the Tej Gyan Foundation which disseminates a unique system of wisdom from self -help to self-realization.