महाभारत भारतीय संस्कृति का अन्यतम ग्रंथ है. इसे पाँचवा वेद कहा गया है. महाभारत में जिस विराट संस्कृति और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष के व्यवहार की आधारशिला रखी गई है, उसका वहन करते हैं योगीराज कृष्ण, भीष्म, द्रोण, कौरव, पाण्डव और प्रकृति शक्ति में कुंती, द्रौपदी तथा गांधारी जैसी सती! इनके साथ सांस्कृतिक विकास के आरोह अवरोह में‒सहयोगी होते हैं‒कर्ण, द्रुपद तथा अन्य चरित्र जो सीधे महाभारत के रचना धरातल पर सक्रिय हैं. डॉक्टर विनय ने महाभारत के अमर पात्रों पर जो विलक्षण कथा शृंखला रची है उसी कड़ी में यह उपन्यास है द्रौपदी के विराट और विलक्षण चरित्र पर जो एक तरह से कथा के ठीक केंद्र में है.