अश्वत्थामा एक महान योद्धा और आठ अमर पात्रों में से एक थे लेकिन उन्होंने ये गलती की कि उन्होंने कौरवों का साथ दिया, क्योंकि उनके पिता द्रोणाचार्य ने भी कौरवों का साथ दिया था. महाभारत के युद्ध में अश्वत्थामा का चरित्र महत्वाकांक्षा और नीति अनिति का विवेक लुप्त हो जाने का सबसे विकट उदाहरण है और यह औपन्यासिक प्रस्तुति उसे समझने का यत्न है.