भक्तियोग / Bhakti Yoga

· Ramakrishna Math, Nagpur
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ইবুক
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এই ইবুকখনৰ বিষয়ে

स्वामी विवेकानंद पहिल्यांदा अमेरिकेस गेले होते त्याचवेळी मद्रासहून प्रकाशित होणार्या ‘ब्रह्मवादिन्’ या इंग्रजी मासिकात त्यांचे भक्तियोगावरील लेख क्रमश: प्रसिद्ध झाले होते. मूळ पुस्तकातील सुरवातीचे काही अध्याय — ज्यांत शंकराचार्य, रामानुजाचार्य आदींच्या भाष्यांतील उद्धरणे समाविष्ट आहेत — स्वामीजींनी स्वत: लिहिले असून उरलेले अध्याय त्यांनी त्या काळी न्यूयार्क येथे दिलेल्या भक्तिविषयक व्याख्यानांवरून तयार करण्यात आले आहेत. भक्तीचा वा ईश्वरप्रेमाचा खरा अर्थ काय, भक्तिमार्गात प्रगत होण्यासाठी कोणत्या गुणांची आवश्यकता असते, सर्वोच्च भक्तीचे वा पराभक्तीचे स्वरूप काय, ती प्राप्त करून घेण्याचे उपाय कोणते व ती जीवनात प्रकट झाली म्हणजे काय होते इत्यादी महत्त्वपूर्ण विषयांचे स्वामीजींनी या पुस्तकात मूलगामी व उद्बोधक विवेचन केले आहे.

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