आबिद सुरती की यह कहानी है, केवल एक रात की। एक ही रात में दोनों खुद को खोज निकालते हैं। सुबह होने तक दोनों की दुनिया ही बदल जाती है।
एक नई निराली शैली में प्रभावपूर्ण उपन्यास, जो रोमांच पैदा करता है और मानव-संबंधों की उथल-पुथल को भी उजागर करता है।
जन्म : सन् 1935, राजुला (गुजरात) में।
शिक्षा : एम.एस-सी., जी.डी. आर्ट्स (ललित कला)।
प्रकाशन : अब तक अस्सी पुस्तकें प्रकाशित, जिनमें पचास उपन्यास, दस कहानी संकलन, सात नाटक, दस बाल पुस्तकें, एक यात्रा-वृत्तांत, एक गजल संकलन, एक संस्मरण व कॉमिक्स।
पैंतालीस साल से गुजराती तथा हिंदी की विभिन्न पत्रिकाओं और अखबारों में लेखन। उपन्यासों का कन्नड़, मराठी, मलयाळम, उर्दू, पंजाबी और अंग्रेजी भाषा में अनुवाद।
‘ढब्बूजी’ व्यंग्य चित्रकथा तीस साल तक निरंतर साप्ताहिक ‘धर्मयुग’ में प्रकाशित। दूरदर्शन, जी तथा अन्य चैनलों के लिए कथा, पटकथा, संवाद लेखन। अब तक देश-विदेशों में सोलह चित्र-प्रदर्शनियाँ आयोजित। फिल्म लेखक संघ, प्रेस क्लब (मुंबई), एसोसिएशन ऑफ राइटर्स ऐंड इलस्ट्रेटर्स (दिल्ली), फिल्म सर्टिफिकेशन बोर्ड (मुंबई) के सदस्य।
पुरस्कार-सम्मान : कहानी संकलन ‘तीसरी आँख’ को राष्ट्रीय पुरस्कार।