Abhagan

Prachi Digital Publication
४.५
४ परीक्षण
ई-पुस्तक
131
पेज
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सामाजिक कुरीतियों के मकड़जाल में उलझी नारी की व्यथा की दास्तान, जिसे अभागन के अलावा और कोई नाम न दिया जा सकता था। पर, उस नारी का नाम है शशि। शशि चन्द्रमा का पर्याय होता है। चन्द्रमा की चन्द्रकलाएं जैसे अंधेरा और उजला पक्ष लेकर चलती हैं; ठीक उसी तरह उपन्यास की कहानी अनेकों मोड़ से गुज़रती चौदहवीं के चाँद की ज्योत्सना बिखेरते हुए उपसंहार पर पहुंचती है।

नारी की नई सोच और नई गरिमा को स्थापित करता सामाजिक उपन्यास-अभागन।

रेटिंग आणि पुनरावलोकने

४.५
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लेखकाविषयी

 डॉ. फखरे आलम खान 'विद्यासागर' सन् 2000 के पहले और दूसरे दशक में सबसे अधिक चर्चा में रहने वाले उपन्यासकार हैं। ये इकलौते ऐसे लेखक हैं जिनके नाम से पहले डॉ. लगा हुआ है, अंत में ‘विद्यासागर’। ये इस मामले में भी अलग पहचान रखते हैं कि इनके सामाजिक उपन्यास भी छपे हैं, जासूसी उपन्यास, कहानी संग्रह तथा एकांकी भी। खान साहब अब डिजिटल दुनिया में भी कदम रख चुके है क्योंकि अब तक उन्होने प्रिन्ट एडिशन में भी पाठकों में अपनी अच्छी पकड़ बना रखी है।


डॉ. फखरे आलम खान को फेसबुक पर फॉलो करें - https://www.facebook.com/writer.fakhan/

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