Abhyutthanam

· Vani Prakashan
4,0
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E-book
398
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À propos de cet e-book

अभ्युत्थानम् - भारत का इतिहास कदाचित सम्पूर्ण विश्व की सभी सभ्यताओं से अधिक पुराना है, परन्तु उनमें से कई कालखण्डों को मिथक कहकर नकार दिया जाता है । तथापि, जिसे नकारा नहीं जा सकता, जिसके बारे में स्वदेशी एवं तत्कालीन राष्ट्रों के अभिलेखों एवं साहित्यों में स्पष्ट उल्लेख है, वह इतिहास मौर्य साम्राज्य की स्थापना एवं अलेक्जेंडर (सिकन्दर) के भारत अभियान से आरम्भ होता है। संसार अलेक्जेंडर को महान कहता है। वह विश्व विजय हेतु निकला था, परन्तु भारत से टकराकर उसे वापस लौटना पड़ा । वह, जो अपने पिता द्वारा निर्मित प्रबल राष्ट्र को, पर्शिया के लिए सज्ज सेना को अधिकृत कर आगे बढ़ा, महान कहलाया। वहीं शून्य से निकला एक भारतीय युवक है, जो आयु में अलेक्जेंडर से लगभग आधी उम्र का था, उसने यूनानियों से अधिक प्रबल सेना का निर्माण किया, यूनानियों को पराजित किया और अलेक्जेंडर से अधिक विशाल भारतीय साम्राज्य की स्थापना की । आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्य ने अर्थशास्त्रम् जैसे सुविख्यात ग्रन्थ की रचना की है। विद्वानों में मतभेद है कि उन्होंने ही वात्स्यायन के नाम से कामसूत्रम् की रचना की है । उन्होंने न्यायभाष्य की रचना भी की है। उनसे यह अपेक्षा करना कि व्यक्तिगत अपमान से क्षुब्ध होकर वे नन्द को हटाकर किसी युवक को मगध के सिंहासन पर बिठा देंगे, वह भी मात्र बालकों के एक राजा प्रजा के खेल को देखकर, यह उस विलक्षण मेधावान मनुष्य के प्रति अन्याय सा लगता है।

Notes et avis

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À propos de l'auteur

यूँ तो अजीत कम्प्यूटर के छात्र रहे हैं, परन्तु उनकी रुचि साहित्य में, खासकर उपन्यास में और उसमें भी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के उपन्यासों में रही है। मास्टर ऑफ़ कम्प्यूटर एप्लिकेशन की डिग्री हासिल करने के बाद इन्होंने पन्तनगर कृषि विश्वविद्यालय में लगभग आठ वर्षों तक शिक्षक एवं प्रोग्रामर के तौर पर नौकरी की। आज़ाद तबियत होने के कारण नौकरी को प्रणाम कर अब स्वतन्त्र तकनीकी अनुवादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। पढ़ने के शी ने उन्हें लिखने की ओर प्रेरित किया। प्रस्तुत उपन्यास यद्यपि इनकी पहली मुद्रित रचना है, तथापि इनके लेख पत्रिकाओं, अख़बारों एवं मीडिया पोर्टलों पर प्रकाशित होते रहे हैं।

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