Ahmedabad ka Shaheen Bagh

· BFC Publications
5.0
12 opiniones
Libro electrónico
282
Páginas
Las calificaciones y opiniones no están verificadas. Más información

Acerca de este libro electrónico

अहमदाबाद का शाहीन बाग

Calificaciones y opiniones

5.0
12 opiniones

Acerca del autor

रामचंद्र गुहा

“जैसा कि मेरे बारे में बताया गया है कि मैं एक इतिहासकार भी हूँ, तो मैं आपको बताना चाहता हूँ कि यहाँ इतिहास बन रहा है। यह इतिहास आप लोग बना रहे हैं। शाहीन बाग के लोग इतिहास बना रहे हैं। ये महिलाएं और छात्र इतिहास बना रहे हैं।”


अधिवक्ता आनंद यागनिक

“1906 में, जब ट्रांसवाल की सरकार ने एशियाई मूल के लोगों से कहा, ‘कागज़ दिखाओ,’ तब गांधीजी दक्षिण अफ्रीका में थे। उन्होंने सत्याग्रह से उस कानून का विरोध करते हुए कहा था कि हम कागज़ नहीं दिखाएँगे।’ आज, 2020 में, हमसे कहा जा रहा है ‘कागज़ दिखाओ।’ हमारा जवाब भी वही है—हम कागज़ नहीं दिखाएँगे।”



प्रीति शेखर

"गांधीजी ने दांडी मार्च के दौरान एनी बेसेंट से कहा था, 'कानून का पालन तब तक किया जाना चाहिए, जब तक उसमें न्याय हो। जिस कानून में न्याय न हो, उसका पालन नहीं करना चाहिए।' इसी भावना के तहत, नागरिकता संशोधन अधिनियम में भी न्याय नहीं है, इसलिए हम भी इस कानून का पालन नहीं करेंगे।"


डॉक्टर राम पुनियानी

“जब प्रधानमंत्री अपनी डिग्री का पेपर नहीं दिखा पाए, तो एक गरीब, मजदूर या आदिवासी अपने कागज़ कहाँ से लाएगा? झोपड़पट्टी में रहने वाला अपनी नागरिकता के कागज़ कैसे दिखाएगा? जो लोग कागज़ मांग रहे हैं, उनके अंदर इंसानियत ही नहीं है।”


प्रोफेसर चमन लाल

“आज जिस तरह से सीएए के विरोध में देश भर में शाहीन बाग बन रहे हैं, अगर 1947 से पहले भी देश के बंटवारे के विरोध में इसी तरह शाहीन बाग बन गए होते, और महिलाएं बंटवारे के खिलाफ धरने पर बैठ जातीं, तो शायद बंटवारे को टाला जा सकता था।”


डॉक्टर सुनीलम

“कुछ लोग कहते हैं कि गांधी की हत्या के साथ गांधी खत्म हो गए, लेकिन मैं उनसे कहना चाहता हूँ कि देश भर में 500 से अधिक शाहीन बाग हैं, जहाँ गांधी जिंदा हैं, और उनके विचार आज भी जीवित हैं।”


अशोक धावले

“यह कानून किसी एक धर्म के खिलाफ नहीं, बल्कि सभी धर्मों के खिलाफ है, क्योंकि यह गरीबों के खिलाफ है। सीएए संविधान के खिलाफ एक साजिश है, और हम संविधान के विरुद्ध किसी भी साजिश को सहन नहीं करेंगे।”


मोहम्मद कलीम सिद्दीकी

अहमदाबाद स्थित एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने गुजरात में नागरिकता संशोधन कानून विरोधी आंदोलन में

महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे पेशे से कारोबारी और स्वतंत्र पत्रकार हैं, नवभारत टाइम्स, डाउन टू अर्थ मैगज़ीन,

तथा जन चौक के लिए लिखते हैं। सिद्दीकी ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन और गुजरात विश्वविद्यालय

से एलएलबी की पढ़ाई की है।

Califica este libro electrónico

Cuéntanos lo que piensas.

Información de lectura

Smartphones y tablets
Instala la app de Google Play Libros para Android y iPad/iPhone. Como se sincroniza de manera automática con tu cuenta, te permite leer en línea o sin conexión en cualquier lugar.
Laptops y computadoras
Para escuchar audiolibros adquiridos en Google Play, usa el navegador web de tu computadora.
Lectores electrónicos y otros dispositivos
Para leer en dispositivos de tinta electrónica, como los lectores de libros electrónicos Kobo, deberás descargar un archivo y transferirlo a tu dispositivo. Sigue las instrucciones detalladas que aparecen en el Centro de ayuda para transferir los archivos a lectores de libros electrónicos compatibles.