चाह एक राह बने ।
राह शिखाये एक गुण ।।
गुण की विवशता सब दिखे ।
कर्म बनाये पग मन शिख।।
दीया की ज्योति सब दिखे ।
मन अन्धकार पग छाये ।।
अन्धा पग-2 भय धरे ।
जग मग भय सो जाये ।।
ईश्वर पग पत्थर पूजे ।
मां बाप को न पूजे जाये ।।
गुरु की महिमा अनमोल पंथ ।
जीवन पावन जगमग हो जाये ।।
मिट्टी जीवन भय पग धरे ।
मिट्टी दुनिया को समा जाये ।।
कण्ठ -2 पग देव विराजे ।
इन्सान धन्य अमल बन जाये ।।
कथा मन मोह माया भय धरे ।
जीवन अन्धकार में हो जाये ।।
गीता कुरान की सब बात करे।
नयना मयल मन हो जाये ।।
सीसा पग नयना भींगे ।
जीवन संत पग हो जाये ।।
इश्क जगे मन प्रेम धरे,
कर्म ज्योत आलोक हो जाये।।