Andhera Se Ujale Ki Or: Poetry

· Uttkarsh Prakashan
3.0
2 шүүмж
Электрон ном
96
Хуудас
Үнэлгээ болон шүүмжийг баталгаажуулаагүй  Нэмэлт мэдээлэл авах

Энэ электрон номын тухай

इस पुस्तक के विषय की प्रेरणा स्रोत जीवन में घटित कुछ घटनाएँ है ,जो हर इंसान के जीवन में घटती है और इंसान को निराशा के अंधे कुएं में धकेल देता है l निराशा के गर्त से उठने के लिए और जीवन को उच्च आदर्श के साथ प्रगतिशील बनाने लिए प्रेरणा की आवश्यकता होती है ! यह प्रेरणा किसी इंसान,किसी के वचन या सु-उक्ति से मिल सकती है |इसी उद्देश्य की पूर्ति केलिए यह पुस्तक मुक्तक में लिखी गई है | मुक्तक के चार पंक्तियों में पूरी बात कह दी जाती है |इसे समझने में आसान भी है |जिस इंसान में आत्मबल है ,जिसमे संकटों से जूझने की सकारात्मक सोच है ,वही उस अंधे कुएँ से बाहर निकल सकते हैं l अन्य के लिए यह काम कठिन है | ऐसे सभी व्यक्तियों को उस अंधे कुएँ में से निकलने में यह पुस्तक सहायक सिद्ध हो सकता है | उसमें सकारात्मक सोच पैदा कर सकता है |सकारात्मक सोच का आधार है खुद का मनोदृष्टि (वस्तु या परिस्थिति को देखने व समझने का अलग अलग दृष्टिकोण)| मेरी पत्नी श्रीमती प्रभावती को डोक्टरों ने बताया कि उनको ब्रेस्ट कैंसर है और वह भी एडवांस्ड स्टेज में l यह सुनकर हमें तो २२ हज़ार वोल्ट का झटका लगा,बच्चे रोने लगे परन्तु मेरी पत्नी न घबरायी न रोयी l उसने कहा, “घबराने की कोई बात नहीं ,डॉक्टर भी गलत हो सकते है l ३५ साल पहले भी मुझे एक डॉ ने बताया था कि तुम्हे ओवेरियन कैंसर है लेकिन सब गलत साबित हुआ l यह भी गलत सावित होगा l हम और कहीं जांच कराएँगे i “ हम दुसरे दिन ही टाटा मेमोरियल सेंटर ,मुंबई चले गए l वंहा करीब दश दिन तक अलग अलग टेस्ट होता रहा और फाइनल बाओप्सी टेस्ट के बाद उन्होंने भी पुष्टि कर दी कि कैंसर हैl इसी दौरान मेरी पत्नी ने कैंसर से पीड़ित और दूसरी महिलाओं से बात की l उनकी बातों में न कोई भय न कोई घबराहट थी l एक महिला ने कहा,”बहनजी ,घबराने की क्या बात है ? मरना तो है ही एक दिन,कौन यहाँ अमर है ? ये डॉक्टर भी मरेंगे किसी न किसी बिमारी से, फिर मरने से घबराना क्यों ?डटकर इस बिमारी का सामना करो l” एक दूसरी महिला ने कहा ,” जब मरना है तो बुखार से मरे या कैंसर से या कोई और बिमारी से क्या फरक पड़ता है ? अंत तो एक ही है l लेकिन अंत के पहले मौत को भी तो एक धक्का लगना चाहिए l“ और वे सभी हंसने लगी l उन महिलाओं की बातचीत सुनकर मुझे लगा कि ये तो शेरनियाँ हैं,जीवन-युद्ध की वीरांगनाएँ है जो ,मानो साक्षात् मौत को चुनौती दे रही है –कह रही है आओ डरा सको तो डराओ ,हम डरनेवाली नहीं हैं l उनमे सकारात्मक विचार प्रवाह हो रहा था l जिंदगी की प्राकृतिक प्रक्रिया को उन्होंने समझा और सहर्ष उसे स्वीकार किया l उन्हें यही विचारधारा भय से मुक्त किया है l कौन,कब,कैसे,किस रोग से इस दुनिया से विदा होगा यह तो ईश्वर ही जाने ,परन्तु इन महिलाओं की सकारात्मक विचार धाराएँ औरों को हमेशा प्रेरित करती रहेगी l यही सकारात्मक विचारधारा को मैंने इस पुस्तक का विषय बनाया है l जीवन में आने वाली विभिन्न परिस्थितियों में विचार में सकारात्मक मोड़ देने की कोशिश की है l

Үнэлгээ, сэтгэгдэл

3.0
2 шүүмж

Энэ электрон номыг үнэлэх

Санал бодлоо хэлнэ үү.

Унших мэдээлэл

Ухаалаг утас болон таблет
Андройд болон iPad/iPhoneGoogle Ном Унших аппыг суулгана уу. Үүнийг таны бүртгэлд автоматаар синк хийх бөгөөд та хүссэн газраасаа онлайн эсвэл офлайнаар унших боломжтой.
Зөөврийн болон ердийн компьютер
Та компьютерийн веб хөтчөөр Google Play-с авсан аудио номыг сонсох боломжтой.
eReaders болон бусад төхөөрөмжүүд
Kobo Цахим ном уншигч гэх мэт e-ink төхөөрөмжүүд дээр уншихын тулд та файлыг татаад төхөөрөмж рүүгээ дамжуулах шаардлагатай болно. Файлуудаа дэмжигддэг Цахим ном уншигч руу шилжүүлэхийн тулд Тусламжийн төвийн дэлгэрэнгүй зааварчилгааг дагана уу.