अनुभूति’ काव्य संकलन हृदय के उद्गारों की भावात्मक अभिव्यक्ति है। साहित्य में रचनात्मक प्रक्रिया की शक्ति-अनुभूति है और इसलिए वह साहित्य की आवश्यक शर्त है। साहित्य की योग्यता और प्रयोजन, रस निष्पति, अभिव्यक्ति की दशाएँ और रीतियाँ, मूल्य आदि अनुभूति के अर्थ से आवश्यक रूप से जुड़े हुए हैं। कुछ ने व्यक्ति के आन्तरिक पक्ष को अनुभूति का नाम दिया है, किन्तु वह व्यक्ति की व्यवहारिक समझ और उसके अर्जित ज्ञान पर भी आश्रित होती है। इसलिए बाह्य वस्तुएँ एवं घटनाएँ व्यक्ति के लिए अर्थ रखती हैं और उनके साथ संबंध स्थापित कर पाने की क्रिया या चेष्टा उसके अनुभव और प्रतीत के घेरे को बढ़ा देती है। वास्तव मंे, हमारी अनुभूति का दायरा जीवन और जगत के संबंध में हमारे ज्ञान-विज्ञान की नित नई उपलब्धियों के अर्थ व महत्व के बारे में हमारी समझ के साथ ही बढ़ता जाता है। विस्तार के साथ ही व्यक्ति की अनुभूति में परिपक्वता आती जाती है। ‘अनुभूति’ काव्य संकलन के कवि की लेखनी में संवेदनशीलता, भावुकता, रीतियाँ, जीवन मूल्य, सत्यता, प्रकृति प्रेम, सौन्दर्य एवं सामाजिक परिवेश की झाकियाँ देखने को मिलती हैं। संवेदनशील हृदय में भावनाएँ, विचार, कलात्मक अभिव्यक्ति एवं कल्पनालोक का खुला आसमान है। कवि निज-समृद्धि की कामना से आगे बढ़कर जन-समृद्धि के आदर्श को अपनाने को प्रेरित करता है।