एक बार की बात है, एक गरीब लकड़हारा था। उसने अपने लड़के को पढ़ने के लिए उच्च विद्यालय भेजा। लड़का पढ़ाई में बड़ी मेहनत करता था, ताकि शिक्षक उसकी प्रशंसा करें। जब उसने लगातार दो कक्षाओं में मेहनत की, लेकिन फिर भी हर विषय में दक्ष नहीं हो सका। उसके पिता ने जो कुछ कमाया था, सब खर्च हो गया, तो लड़का घर वापस लौट आने को मजबूर हो गया।
लकड़े के पिता ने उससे कहा, ‘‘अब मैं तुम्हें कुछ भी नहीं दे सकता। इस मुश्किल वक्त में मैं रोज की दाल-रोटी से ज्यादा कुछ कमा ही नहीं पा रहा हूँ।’’ लड़के ने कहा, ‘‘पिताजी, आप चिंता न करें, जब मेरा भाग्य होगा तो मैं फिर पढ़ने चला जाऊँगा।’’ अब पिता पैसे कमाने के लिए जंगल में जाना चाहते थे, लड़के ने कहा, ‘‘मैं भी आपके साथ जाऊँगा और आपकी मदद करूँगा।’’ पहले तो पिता ने मना कर दिया, फिर वह पड़ोस से एक कुल्हाड़ी माँगकर ले आया। तब वे दोनों पैसे कमाने के लिए जंगल की ओर निकल पड़े। —पुस्तक से