लेखक ने व्यावसायिक (पर्यटन) अध्ययन संस्थान, एमटीए, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, समरहिल, शिमला से पर्यटन में अपनी डॉक्टरेट पूरी की है। उनके शोध का विषय था, ‘शिमला और कुल्लू में समुदाय आधारित पर्यटन: दांव / स्टेक, धारणाएं और प्रभाव विश्लेषण’, जिसे प्रो. सुषमा रेवाल चुग के मार्गदर्शन में पूरा किया गया। उनके अनुसंधान के मुख्य उद्देश्य हिमाचल प्रदेश के शिमला और कुल्लू जिले में समुदाय आधारित पर्यटन गतिविधियों में स्थानीय हितधारकों की भूमिका, समुदाय आधारित पर्यटन गतिविधियों के प्रति स्थानीय निवासियों की धारणा और समुदाय आधारित पर्यटन गतिविधियों के प्रभावों का अध्ययन करना आदि थे। लेखक ने 30 दिसंबर 2009 से 14 नवंबर 2014 तक व्यावसायिक (पर्यटन) अध्ययन संस्थान, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में जूनियर रिसर्च फेलो और सीनियर रिसर्च फेलो का पद संभाला। उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, समरहिल शिमला के व्यावसायिक अध्ययन संस्थान में यूजीसी एस.ऐ.प. के स्तर 1 (पर्यटन) में ‘प्रोजेक्ट फैलो’ के रूप में भी काम किया। उन्हें यूजीसी द्वारा 2017 में डॉ. एस. राधाकृष्णन पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप से सम्मानित किया गया। लेखक वर्तमान में ‘दौरा और यात्रा’ / टूर एंड ट्रेवल विभाग, वल्लभ सरकारी महाविद्यालय, मंडी में सहायक प्रोफेसर के रूप में सेवारत हैं। उन्होंने कई संगोष्ठियों, सम्मेलनों, कार्यशालाओं में भाग लिया है और राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में 30 से अधिक शोध पत्र भी प्रकाशित किए हैं। उन्होंने उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी (यूओयू), पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी (पीटीयू), इक्डोल (एचपी यूनिवर्सिटी), ई-पीजी पाठशाला (एम्एचआरडी-यूजीसी) और इग्नू के लिए सेल्फ लर्निंग मैनुअल भी लिखे हैं। इसके अलावा, उन्होंने उत्तराखंड, राजस्थान, केरल, तमिलनाडु, गोवा, महाराष्ट्र और गुजरात आदि विभिन्न राज्यों का दौरा किया है। उन्हें भारतीय हिमालय क्षेत्र में ट्रेकिंग का शौक है। लेखक हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सरकाघाट तहसील में स्थित सिहारल गाँव से ताल्लुक रखते हैं।