हाँ अंतिम यात्रा
मृत्यु की हकीक़त को दर्शाया है।
जी हाँ मृत्यु, वह मृत्यु जिसे सबका पता मालूम है
बस हमें ही नहीं पता है कि मृत्यु आएगी पर हमें मार नहीं पाएगी।
श्रीमद्भागवतगीता के अध्ययन, संतों-महापुरूषों के वाणी को पढ़कर इस पुस्तक को पंक्तियों के रूप में व्यंग्य के साथ लिखा हूँ।
अंतिम यात्रा जिसे हम कहते हैं दरसल वह आध्यात्मिकता कि दृष्टि से बिलकुल ही अलग है। हम सत्य को नकाब में रख झूठ को सत्य कहते है। बस उसी झूठ का प्रदा हटा सत्य को लिखा है।
आशा है आप सब इस पुस्तक को पढ़ कर अपने जीवन को भी सत्य की ओर ले जाएंगे।
मैं आशीष कुमार हूँ। मुझे शैंकी के नाम से भी जाना जाता है। मेरा जन्म और पालन-पोषण रामगढ़, झारखंड में हुआ। मैंने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में शिक्षा प्राप्त किया है। मैने जितनी ज़िन्दगी जी है। उससे तो इतना जान ही चुका हूँ कि जिंदगी जितना रुलाती है, मौत उतना ही तड़पाती है। सुना है किसी के पास कुछ ना हो तो हंसती है ये दुनिया। किसी के पास सब कुछ हो तो जलती है ये दुनिया। पर मेरे पास जो है उसके लिए तरसती है ये दुनिया। जो भी हूँ, जैसा भी हूँ। अपने प्यारे महादेव का हूँ। मैं क्या कहूँ, खुद से खुद के बारे में? धीरे-धीरे आप सब जान जाएंगे।