श्री अशोक अंचल ने ‘चिंतन के मोती’ काव्य संग्रह के मुक्तकों में वैयक्तिक जीवन एवं देश के जनमानस में सामाजिक, राजनैतिक रूप में उपस्थिति विद्रूपताओं एवं उथल-पुथल के प्रति अपने चिंतन को काव्यात्मक अभिव्यक्ति प्रदान की है। श्री अशोक अंचल की अधिकांश काव्य रचनाओं में सामाजिक न्याय एवं उत्थान, देशप्रेम, मानवतावादी, दार्शनिक दृष्टिकोण की प्रभावशाली अभिव्यक्ति है। एक सामान्य पाठक, श्रोता के नजरिये से देखने पर श्रेष्ठ कविता और कवि वही होता है जिसकी भाषा शैली और व्यवहार सहज, सरल, व शालीन बोधगम्य हों। ‘चिंतन के मोती’ में संकलित रचनाएं और रचनाकार दोनों ही सहज, सरल एवं श्रेष्ठ हैं। समय की दृष्टि से ‘अंचल जी’ से मेरा परिचय बेशक संक्षिप्त काल से है, लेकिन निकटता की दृष्टि से इनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व से मेरा परिचय खास विस्तृत है। बालमन एवं संवेदनशील हृदय के ‘अंचल जी’ स्वाभाविक रूप से घुमक्कड़, फक्कड़ और यारवाज़ हैं। आपकी अधिकांश कविताएं (छंदबद्ध या छंदमुक्त) गहरे और गम्भीर चिंतन की पैदाइश हैं।