BARI

· MEHTA PUBLISHING HOUSE
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ই-বুক
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এই ই-বুকের বিষয়ে

The` barre ` tribe had traditionally lived in thick and beautiful jungles. They resorted to dacoity and theft in nearby localities for their living. They hardly ever dreamt of stable life. The sociopolitical changes around and falling of forests signif.
कथाकार म्हणून साहित्यिक कारकीर्द सुरू करणार्या श्री. रणजित देसाईंची ही पहिलीच कादंबरी. कथा व कादंबरी हे साहित्यप्रकार मूलत:च भिन्न प्रकृतिधर्माचे आहेत. त्यामुळं या दोन्ही साहित्यप्रकारांवर प्रभुत्व असलेले सव्यसाची ललित-लेखक हाताच्या बोटांवर मोजण्याएवढेच आढळतात. श्री. रणजित देसाई त्यांपैकीच एक. आपल्या दृढ परिचयाचा भौगौलिक भाग त्यांनी या कादंबरीकरता निवडला आहे. कोल्हापूर ते बेळगाव या रस्त्याच्या वाटेवर सुतगट्टी या नावाचं गाव लागतं. तिथून काकती गावापर्यंतची पंधरा-वीस मैलांची, अगदी दाट गहिर्या जंगलानं वेढलेली वाट ’सुतगट्टीची बारी’ म्हणून ओळखली जाते. भर दुपारीही अंधारून यावं, असा हा भाग. त्या बारीची, त्या जंगलाच्या आसर्यानं वाढणार्या बेरड जमातीची ही कथा आहे. श्री. रणजित देसाईंचा रहिवास जन्मापासूनच खेड्यात झालेला आहे. आजही रात्रंदिवस ते याच लोकांत वावरत आहेत. तिथल्या मातीतच त्यांची कला मूळ धरीत आहे. त्यामुळं ही कादंबरी म्हणजे सुरेख शहरी कुंडीत लावलेलं खेडेगावातलं फुलझाड नाही. प्रसंगांचा, निसर्गाचा, भावविश्वाचा, भाषाशैलीचा आणि या जीवनावर जिची छाया पडली आहे, त्या समस्येचा अस्सलपणा या कादंबरीत अधिक प्रमाणात आहे. या ठाामीण जीवनात जी सामाजिक, आर्थिक, राजकीय, यांत्रिक, शैक्षणिक अशी सर्वंकष स्थित्यंतरं होत आहेत, ती सारी कधी विकट हास्य करीत, तर कधी कारुण्यानं काजळून जात लेखकापुढं प्रकट होत आहेत. या जीवनाविषयी त्याला आपुलकी आहे, जिव्हाळा आहे, पोटतिडीक आहे. या जीवनाचाच एक लहानसा भाग असलेलं, बेरड जमातीचं परंपरागत जीवन, त्या जीवनात होऊ घातलेली स्थित्यंतरं आणि त्या जमातीच्या भवितव्याविषयीची काळजी या सर्वांतून ’बारी’ स्फुरली आहे, फुलली आहे.

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