‘भाबनागुलो’ अर्थात चिंताच चिंता..समाजातील अस्वस्थ करणाऱ्या घटनांचे संवेदनशील मनात उमटणारे पडसाद या पुस्तकात प्रतिबिंबित होतात. कवीमनाच्या तसलिमा नासरिन नानाविध विषयांवर मुक्त चिंतन करतात. मुल्ला-मौलवीच्या फतव्यांमध्ये घुसमटणारं स्त्रीमन...मूलतत्त्ववादाच्या भोवऱ्यात अडकलेला राष्ट्रवाद...स्थलांतरातली अपरिहार्यता...अशा प्रश्नांची सल तसलिमा नासरिन यांना टोचणी देत राहते. त्यातून त्या अंतर्मुख करणारे प्रश्न विचारतात. त्यांच्या या अभिव्यक्तीतून जणू समकालीन वास्तवाचा आरसा आपल्यासमोर उभा ठाकतो. आणि सामाजिक चिंतांकडे अंगुलीनिर्देश करत राहतो.
Google Play থেকে কেনা অডিওবুক আপনি কম্পিউটারের ওয়েব ব্রাউজারে শুনতে পারেন।
eReader এবং অন্যান্য ডিভাইস
Kobo eReaders-এর মতো e-ink ডিভাইসে পড়তে, আপনাকে একটি ফাইল ডাউনলোড ও আপনার ডিভাইসে ট্রান্সফার করতে হবে। ব্যবহারকারীর উদ্দেশ্যে তৈরি সহায়তা কেন্দ্রতে দেওয়া নির্দেশাবলী অনুসরণ করে যেসব eReader-এ ফাইল পড়া যাবে সেখানে ট্রান্সফার করুন।