अनामिका निबन्ध लिखती हैं, अखबारों और पत्रिकाओं में स्तम्भ लिखती हैं, कहानियाँ और उपन्यास रचती हैं, कविताओं और उपन्यासों का अनुवाद सम्पादन करती हैं, और अंग्रेजी साहित्य का अध्यापन करती हैं। एक पब्लिक इंटेलेक्चुअल के रूप में व्याख्यान देने से लेकर स्त्रीवादी पब्लिक स्फियर में सक्रिय रहने तक वे और भी बहुत कुछ करती हैं। पर, सबसे पहले और सबसे बाद में, वे एक कवि हैं। 1961 के उत्तरार्द्ध में मुजफ़्फ़रपुर, बिहार में जन्मी और अंग्रेज़ी साहित्य से पीएच.डी. अनामिका राजभाषा परिषद् पुरस्कार (1987), भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार (1995), साहित्यकार सम्मान (1997), गिरिजाकुमार माथुर सम्मान (1993), परम्परा सम्मान (2001) और साहित्य सेतु सम्मान (2004), केदार सम्मान (2008), शमशेर सम्मान (2014), मुक्तिबोध सम्मान (2015), वाणी फ़ाउंडेशन डिस्टिग्विश्ड ट्रांसलेटर अवार्ड (2017) से विभूषित हो चुकी हैं। प्रकाशित कृतियाँ : आलोचना : पोस्ट एलिएट पोएट्री : अ वॉएज फ्रॉम कफ्लिक्ट टु आइसोलेशन, डन क्रिटिसिज्म डाउन दि एजेज़, ट्रीटमेंट ऑव लव ऐंड डेथ इन पोस्ट वार अमेरिकन विमेन पोएट्स, ट्रांसलेटिंग रेशियल मेमरी। विमर्श : स्त्रीत्व का मानचित्र, मन माँजने की ज़रूरत, पानी जो पत्थर पीता है, स्त्री-विमर्श का लोकपक्ष, त्रियाचरित्रं : उत्तरकाण्ड, स्वाधीनता का स्त्री-पक्ष। कविता : गलत पते की चिट्ठी, बीजाक्षर, समय के शहर में, अनुष्टुप, कविता में औरत, खुरदरी हथेलियाँ, दूब-धान, थेरी गाथा : टोकरी में दिगन्त, पानी को सब याद था। कहानी : प्रतिनायक। संस्मरण : एक ठो शहर था, एक थे शेक्सपियर, एक थे चार्ल्स डिकेंस। उपन्यास : अवान्तर कथा, दस द्वारे का पींजरा, तिनका तिनके पास, आईका साज़। अनुवाद : नागमंडल (गिरीश कार्नाड), रिल्के की कविताएँ, एफ्रो इंग्लिश पोएम्स, अटलांत के आर-पार (समकालीन अंग्रेजी कविता), कहती हैं औरतें (विश्व साहित्य की स्त्रीवादी कविताएँ), भाषिक पुनर्वास।