दोनों का प्यार साहित्य था,फिर साहित्य प्रेम ने जगाया प्यार दोनों का दोनों के लिए, पर विडम्बना जो बहुत है उसे पढोगे आप किताब पढ़ने के दौरान।
"प्यार मे पड़ाव बहुत होते है,इनका पड़ाव ये था कि इनकी प्यार का मिलन इस किताब के दौरान तो नहीं हो पाया ,वो मिल जाते अगर तो मोहब्बत पूरी हो जाती, पर अलग राह मे होके भी प्यार कम ना हुआ ,मिलने का रास्ता दिख नहीं रहा पर मिलने की आश कभी मिटा नहीं।
"इसलिए ये इश्क पूरा है"
कवि परिचय:—
कवि भानु प्रताप वैशाली जिला,बिहार के रहने वाले है,उन्होंने अपनी शिक्षा डीनोबिली स्कूल धनबाद से की है और उच्च शिक्षा गोपाबंधु आयुर्वेद महाविद्यालय,पूरी से कर रहे है,उनके अनुसार अपने लेखन रुचि को जीवंत रखने के लिए उन्होंने ये किताब लिखी है,वो शुक्रगुजार है अपने माता (श्रीमति मुन्नी कुमारी),पिता(श्री अभय कुमार),बहन(डॉ निशा शांडिल्य)और समस्त परिवार का जिन्होंने उन पर भरोसा किया और उन्हें इस काबिल बनाया,वो अपने सहयोगी लेखिका का भी तहे दिल से धन्यवाद करते है जिन्होंने इस किताब के पूर्ण होने में बराबर के सहभागिता निभाई है,यह उनकी दूसरी किताब है और उन्हें पूरा विश्वास है कि सभी पाठक पहले की तरह उन्हें उतना ही प्यार और आशीर्वाद देंगे।।
कबयत्री शुभलक्ष्मी जाजपुर जिल्ला, ओडिशा की हैं। अपनी पढाई सरस्वती शिशु विद्यामन्दिर, जाजपुर एबं शैलबाला महिला महाविद्यालय, कटक से कि हैं। बर्तमान गोपाबंधु आयुर्वेद महाविद्यालय में अपनी उच्चशिक्षा की पढाई कर रही हैं। मरीजों को इलाज देने के लिए खुद को तेयार करने के साथ उनकी कलम चुनती है लिखना कविता, नज़्म और कहानियाँ। वो चिर आभारी हैं अपने दादाजी(योगेंद्र साहू), पिता (गदाधर साहु), माता (अन्नपूर्णा साहू) और सब वो जन जो हर मोड पर साथ देते आये हैं लेखिका को सभी कदम पर। अशेष अशेष धन्यबाद सहयोगी कवि भानुप्रताप को जिनके इस किताब लिखने का प्रस्ताब आज पूर्ण रुप में हम देख रहे हैं। यह लेखिका कि प्रथम कविता पुस्तक है, वो आप सभी पाठकों का प्यार, श्रद्धा और आशीर्वाद का अपेक्षा रखती हैं ।