गुड़ की डली; सूप; चँगेरी; अरबी; नारियल इत्यादि विविध प्रकार की चीजें गाड़ी पर लदी थीं। फटिकदा उन चीजों को उतरवाने में व्यस्त थे। फिर भी बोले; ‘‘वसूली का काम कैसा चल रहा है; भाई?’’
एक पल चुप्पी साधने के बाद फिर बोले; ‘‘लगता है; प्रातः भ्रमण को निकल रहे हो?’’
‘‘नहीं’’; मैंने कहा; ‘‘नीरू भाभी की एक चिट्ठी है; पोस्ट ऑफिस में डालने जा रहा हूँ। बहुत ही जरूरी चिट्ठी है।’’
‘‘चिट्ठी! किसकी चिट्ठी बताया? छोटी बहू की!’’
फटिकदा के चेहरे का भाव जैसे आमूल परिवर्तित हो गया हो।
बोले; ‘‘बड़मातल्ला अपने माँ के पास भेज रही हैं?’’
‘‘हाँ; मगर।’’
वे बोले; ‘‘देखूँ।’’
मैंने चिट्ठी दी। दो-चार पंक्तियाँ पढ़ते ही पता नहीं; फटिकदा को क्या हुआ कि चिट्ठी को उन्होंने चिंदी-चिंदी कर दी। बोले; ‘‘इस चिट्ठी को भेजने से कोई काम नहीं होगा; भाई कुछ अन्यथा मत लेना।’’
फिर भी मेरा विस्मय दुगुना हो गया।
—इसी संग्रह से
सुप्रसिद्ध कथाकार-उपन्यासकार बिमल मित्र ने समाज; धर्म; रिवाज-परंपरा; शासन-नीति एवं सामाजिक संबंधों को अलग नजरिए से देखा-परखा है। समाज की हर समस्या को कहानी में उठाया है और यथासंभव उसका समाधान भी सुझाया है। पठनीयता एवं रोचकता से भरपूर प्रेरक कहानियाँ। Bimal Mitra Ki Lokpriya Kahaniyan by Mitra, Bimal: Immerse yourself in the popular stories written by Bimal Mitra. This book likely offers readers a collection of engaging narratives that capture the essence of human experiences, emotions, and societal issues. It provides a glimpse into the storytelling prowess of Bimal Mitra.
Key Aspects of the Book "Bimal Mitra Ki Lokpriya Kahaniyan":
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Social Commentary: Dive into the themes and issues addressed in these stories, reflecting the society of the time.
Mitra, Bimal is celebrated for his storytelling in "Bimal Mitra Ki Lokpriya Kahaniyan." This book showcases his ability to craft engaging tales that resonate with readers.