CONGRESS VIRUDDHA MAHARASHTRA

· MEHTA PUBLISHING HOUSE
4.0
1ଟି ସମୀକ୍ଷା
ଇବୁକ୍
172
ପୃଷ୍ଠାଗୁଡ଼ିକ
ରେଟିଂ ଓ ସମୀକ୍ଷାଗୁଡ଼ିକୁ ଯାଞ୍ଚ କରାଯାଇନାହିଁ  ଅଧିକ ଜାଣନ୍ତୁ

ଏହି ଇବୁକ୍ ବିଷୟରେ

Acharya Atre entered the Congress. But, due to some reasons, he could not get along with the Congress which made him leave the party. His pen always wrote critically and pointedly against Congress, and especially Yashwantrao Chavhan and Pandit Nehru. His book ‘Congress Virudhha Maharashtra’ gives us a fair idea of his anti-congress thinking. He has very bluntly criticized Yashwantrao’s devotion to Nehru and Nehru’s hatred towards Maharashtra. Atre pin-pointedly writes about many important topics like Yashwantrao Chavhan’s role against Samyukt Maharashtra Movement, his resignation during Emergency, Indira Gandhi’s criticism in an answer, Yashwantrao’s darkened image as a result, Nehru’s opposition to division based on language difference, etc. Atre’s clear writing reveals his transparent and bold nature.

आचार्य अत्रे यांनी काँग्रेसमध्ये प्रवेश केला होता; पण काही कारणाने अत्रे आणि काँग्रेस यांच्यात वितुष्ट आलं आणि अत्रे काँग्रेसच्या बाहेर पडले. अत्र्यांनी काँग्रेसवर, विशेषत: यशवंतराव चव्हाण आणि पंडित नेहरूंवर आपल्या लेखणीने नेहमीच शरसंधान केलं. ‘काँग्रेस विरुद्ध महाराष्ट्र’ या पुस्तकातून अत्र्यांमधील कट्टर काँग्रेस विरोधकाचं दर्शन घडतं. यशवंतरावांची नेहरूनिष्ठा आणि नेहरूंचा महाराष्ट्रद्वेष यावर अत्र्यांनी कडाडून टीका केली. यशवंतराव चव्हाणांनी संयुक्त महाराष्ट्राच्या विरोधात घेतलेली भूमिका, आणीबाणीच्या वेळी यशवंतरावांनी काँग्रेसचा केलेला त्याग आणि त्यादरम्यान इंदिरा गांधींनी त्यांची केलेली निंदा आणि यशवंतरावांची मलिन झालेली प्रतिमा, भाषावार प्रांतरचनेला नेहरूंनी केलेला विरोध इ. अनेक महत्त्वाच्या घटनांवर या पुस्तकातून तपशीलवार भाष्य करण्यात आलं आहे आणि अत्र्यांच्या निर्भीड, पारदर्शक व्यक्तिमत्त्वाचं दर्शनही घडवलं आहे.

ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ ଓ ସମୀକ୍ଷା

4.0
1ଟି ସମୀକ୍ଷା

ଲେଖକଙ୍କ ବିଷୟରେ

श्रीधर व्यंकटेश कानडे हे आचार्य अत्रे यांचे शिष्य असल्याने खरे तर बाबूराव कानडे म्हणून सर्वत्र ओळखले जातात. त्यांचे शिक्षण पुण्यात झाले. ते एम.ए., एल.एल.बी. आहेत व आयुर्विमा महामंडळात विमाकामगारांचे सरचिटणीस असल्याने कामगार वर्गाला परिचित आहेत. त्यांची ‘चतुर अशा बायका’, ‘पौडाचं पाव्हणं’, ‘रिकामा न्हावी’, ‘गाढवही गेले अन् ब्रह्मचर्चही गेले’ अशी विनोदी पुस्तके प्रकाशित झाली आहेत. ‘असावे घरटे आपुले छान!’ हे नाटकही त्यांनी लिहिले आहे. आचार्य अत्रे यांच्या वाङ्मयाचे व्यासंगी म्हणून ते परिचित आहेत. आचार्य अत्रे यांचा ‘आत्मा’ म्हणजे विनोद म्हणून ‘विनोद विद्यापीठ’ या समर्पक स्मारकाने आचार्य अत्रे यांची स्मृती जागवली. आचार्य अत्रे स्मृति प्रतिष्ठान, पुणे याचे ते संस्थापक - अध्यक्ष आहेत.

E-mail - [email protected]


ଏହି ଇବୁକ୍‍କୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ

ଆପଣ କଣ ଭାବୁଛନ୍ତି ତାହା ଆମକୁ ଜଣାନ୍ତୁ।

ପଢ଼ିବା ପାଇଁ ତଥ୍ୟ

ସ୍ମାର୍ଟଫୋନ ଓ ଟାବଲେଟ
Google Play Books ଆପ୍କୁ, AndroidiPad/iPhone ପାଇଁ ଇନଷ୍ଟଲ୍ କରନ୍ତୁ। ଏହା ସ୍ଵଚାଳିତ ଭାବେ ଆପଣଙ୍କ ଆକାଉଣ୍ଟରେ ସିଙ୍କ ହୋ‍ଇଯିବ ଏବଂ ଆପଣ ଯେଉଁଠି ଥାଆନ୍ତୁ ନା କାହିଁକି ଆନଲାଇନ୍ କିମ୍ବା ଅଫଲାଇନ୍‍ରେ ପଢ଼ିବା ପାଇଁ ଅନୁମତି ଦେବ।
ଲାପଟପ ଓ କମ୍ପ୍ୟୁଟର
ନିଜର କମ୍ପ୍ୟୁଟର୍‍ରେ ଥିବା ୱେବ୍ ବ୍ରାଉଜର୍‍କୁ ବ୍ୟବହାର କରି Google Playରୁ କିଣିଥିବା ଅଡିଓବୁକ୍‍କୁ ଆପଣ ଶୁଣିପାରିବେ।
ଇ-ରିଡର୍ ଓ ଅନ୍ୟ ଡିଭାଇସ୍‍ଗୁଡ଼ିକ
Kobo eReaders ପରି e-ink ଡିଭାଇସଗୁଡ଼ିକରେ ପଢ଼ିବା ପାଇଁ, ଆପଣଙ୍କୁ ଏକ ଫାଇଲ ଡାଉନଲୋଡ କରି ଏହାକୁ ଆପଣଙ୍କ ଡିଭାଇସକୁ ଟ୍ରାନ୍ସଫର କରିବାକୁ ହେବ। ସମର୍ଥିତ eReadersକୁ ଫାଇଲଗୁଡ଼ିକ ଟ୍ରାନ୍ସଫର କରିବା ପାଇଁ ସହାୟତା କେନ୍ଦ୍ରରେ ଥିବା ସବିଶେଷ ନିର୍ଦ୍ଦେଶାବଳୀକୁ ଅନୁସରଣ କରନ୍ତୁ।