Chal Ganesi Gaanv

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चलऽ गनेसी गाँव’ मगही भाषा में लिखा गया एक आंचलिक उपन्यास है। मगही मुख्यतः दक्षिण बिहार खासकर पटना, गया, नालंदा, औरंगाबाद में प्रचलन में है। इस भाषा का प्रयोग बोलचाल में काफी चलन में है। गाँव से प्रतिभा का पलायन या फिर रोजगार की तलाश में कामगारों का, शहरों की ओर पलायन की प्रवृत्ति एक असाध्य बीमारी का रूप अख्तियार कर चुका है। प्रस्तुत उपन्यास लोगों को गाँव से जोड़ने की कोशिश है। इसमें ग्राम्य जीवन की खूबियों को दर्शाने की कोशिश की गयी है। उपन्यास का कवर पृष्ठ देखकर पाठकों के मन में गाँव की मिट्टी की खुशबू का एहसास करा पाए तो मुझे प्रसन्नता होगी|

O avtorju

अनिल कुमार सेवानिवृत्त बैंकर और एक प्रशंसित लेखक बनने के स्वप्नदर्शी हैं। उनका जन्म और पालन-पोषण बिहार में पटना से 20 किलोमीटर दूर एक गाँव नीमा में हुआ। अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्होंने एक वित्तीय संस्थान में काम करना शुरू कर दिया। साहित्य उनका पहला प्यार था। कहानी कहने के प्रति आजीवन प्रेम से प्रेरित होकर, सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने लघु कहानियाँ लिखनी शुरू कर दी। चूँकि वह मगध क्षेत्र से हैं, इसलिए उन्हें अपनी क्षेत्रीय भाषा बहुत पसंद है। ‘चलऽ गणेशी गाँव’ मगही में उनका पहला उपन्यास है। 

 

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