Mala Jha
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तुलनात्मक दृष्टिकोण से देखें तो कबीर दोहावली से चंचलवाणी की तुलना की जा सकती है जिसमें जीवन के अनुभवों का एक गाढ़ा निचोड़ है,चंचलवाणी सच्चाई का एक ऐसा आईना है जिसमें लोग आज अपना चेहरा देखना नहीं चाहते,परंतु यदि हर व्यक्ति चंचलवाणी जैसे पुस्तकों का अध्ययन कर उसका अनुसरण करे तो कदाचित् एक स्वच्छ और स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकता है ।
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Mala Jha
तुलनात्मक दृष्टिकोण से देखें तो कबीर दोहावली से चंचलवाणी की तुलना की जा सकती है जिसमें जीवन के अनुभवों का एक गाढ़ा निचोड़ है,चंचलवाणी सच्चाई का एक ऐसा आईना है जिसमें लोग आज अपना चेहरा देखना नहीं चाहते,परंतु यदि हर व्यक्ति चंचलवाणी जैसे पुस्तकों का अध्ययन कर उसका अनुसरण करे तो कदाचित् एक स्वच्छ और स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकता है ।
K K
समाज कि कुरीतियों ,अंधविश्वास को उजागर करती ये आपकी रचना बहुत ही प्रासंगिक है।
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