Chopaal

· WHERE INDIA WRITES PUBLICATION
ປຶ້ມອີບຸກ
129
ໜ້າ
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यह उपन्यास "चौपाल" काल्पनिक है लेकिन कहीं-कहीं पर यह वास्तविकता को प्रदर्शित करता है। आज भी कहीं जगहों पर इस प्रकार देखने को मिलता है। इस उपन्यास में मार्मिक सत्य एवम् वचन बद्धता लिखी हुई है। यह कभी हमारे पूर्वजों की आन बान और शान हुआ करती थी।आज जिस समाज, परिवेश और कुछ पहलुओं में गरीब आदमी गुलामी करता है या यूं कहे की अपना छोटा सा काम कराने के लिए अपनी चीज गिरवी रख देता है। एवम् उस चीज को वापस प्राप्त करने मात्र में वह अपना जीवन व्यतीत कर देता है । क्या हम वैसा जीवन जी पाएंगे ,जी नहीं, जीना तो छोड़िए हम उस प्रकार के जीवन की कल्पना तक नहीं कर सकते जो हमारे पूर्वजों ने जीया है।क्या हम कभी उस जिंदगी को जी पायेगें, शायद नहीं क्योकि आज हम जिस समाज में रह रहे है वो पहले से बहुत बदला हुआ है ! उस समाज की की किस्से और कहानियां आज सिर्फ हम अपने दादाओं से सुन सकते है! 


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लेखक का नाम अनुज कुमार है

ये उत्तर प्रदेश के जिला औरैया,सहार छोटे से गाँव सुखमपुर के निवासी है । इन्होंने अपनी शिक्षा में अंग्रेजी विषय में कानपुर विश्वविधालय से स्नातक किया है । मुझे लिखने का शुरू से ही बड़ा शौक रहा है !

साथ ही फोटोग्राफी में भी रुचि है।

मैने सभी प्रकार की रचना लिख रखी है। मैने लेखन के क्षेत्र में कही संकलन पुस्तक में हिस्सा लिया है। मुझे कविता लिखने का उध्दरण, कहानी लिखने की रुचि बहुत है। ये उपन्यास मेरा पहला उपन्यास है जिसके माध्यम से लोगो से जुड़ने का मैने प्रयत्न किया है।


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