DWIKHANDIT

· MEHTA PUBLISHING HOUSE
ଇବୁକ୍
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ଏହି ଇବୁକ୍ ବିଷୟରେ

 Dwikhandit is a third part of Bangladeshi Author Taslima Nasreen’s memoir . It contains mainly her life in thirty’s & experiences she had as an author & doctor. Taslima Nasreen’s life is full of controversies , suffering & battle for rights. She puts her memories in words in her memoir. This book not only talks about Taslima’s life, but it portraits situation of women in Islam.

ଲେଖକଙ୍କ ବିଷୟରେ

 तसलिमा नासरिन या मूळ बांगलादेशी लेखिकेच्या आत्मचरित्राचा तिसरा भाग ‘द्विखंडित.’ या भागात तसलिमांच्या सत्तावीस ते तीस वर्षांपर्यंतच्या वयाची कहाणी आहे. एक साहित्यिक व डॉक्टर म्हणून त्यांना आलेले अनुभव त्यांनी या भागात सांगितले आहेत. चांगल्या अनुभवांबरोबर आलेले वाईट अनुभवही त्यांनी खूपच स्पष्टपणे मांडले आहेत. त्यांच्या लेखनाचे वैशिष्ट्य असणारा सडेतोड व स्पष्टपणा आत्मचरित्र वाचताना जागोजागी जाणवत राहतो. त्यांचे लेखन, त्यात आलेले अडथळे, कौटुंबिक वातावरण, लेखनाला झालेला विरोध, समर्थन, पुरस्काराचे राजकारण त्यांच्या लेखनाचे नेत्यांनी केलेले राजकारण सनातनी समाजातून होणारी टीका अशा सर्व अनुभवांतून जात असताना त्यांची मानसिक स्थिती त्यांनी मांडली आहे.
एकाकीपणा हा त्यांच्या आयुष्याचा मोठा भाग होता. त्यांच्या सडेतोड, स्पष्ट लिखाणामुळे त्यांना वैयक्तिक जीवनातही प्रचंड टीकेचा सामना करावा लागला. त्यांना स्त्रियांच्या दुरवस्थेविषयी वाटणारी आस्था, त्यातून त्यांनी स्त्रीस्वातंत्र्यासाठी केलेले लिखाण, तसेच इस्लामचे स्त्रीविषयक विचार, इस्लामवर त्यांनी बेधडकपणे केलेली टीका यामुळे बांगलादेशात त्यांच्याविरुद्ध वातावरण निर्माण झाले. त्यांच्या पुस्तकांवर बंदी, निषेध, मोर्चे... अगदी त्यांचे शिर उडवण्यासाठी इनामही घोषित करण्यात आले; परंतु त्यांनी आपले लिखाण मात्र सुरूच ठेवले. रुग्णसेवा कामगारांच्या प्रश्नांना वाचा फोडत राहिल्या. जीवनाकडून त्यांच्या असणाऱ्या अपेक्षा, स्वप्न यांच्या पूर्तीसाठी प्रयत्नशील राहिल्या.  वैयक्तिक व वैचारिक स्वातंत्र्याला मान देणाऱ्या तसलिमा नासरिन यांचे आत्मचरित्र वाचकाला प्रत्येक पान वाचण्यासाठी उत्सुक करते.

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