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जहाँ मनुष्य रहता है वहाँ रिश्ते अपने आप बन जाते हैं| सीधे से कहें तो मनुष्य के लिए ही रिश्ते बनाये जाते हैं| रिश्ते का मतलब दो लोगों के बीच का दिखाई न देने वाला बंधन होता है| लेकिन हर जगह रिश्ते भी एक से नहीं होते| जैसा मन वैसे रिश्ते| कहीं खट्टे तो कहीं मीठे| इन्हीं खट्टे-मीठे रिश्तों के धागों से बुना ये काव्य संग्रह आप लोगों के बीच है|
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