‘डबल लाइफ' की पटकथा प्रकाशित करने से पूर्व 'हाईवे 39' की पटकथा प्रकाशित की गयी थी। 'स्लाइस ऑफ लाइफ' और 'कार्पे डीएम' जैसी यूटोपियन अवधारणाओं के बीच तीसरी दुनिया की बदसूरत सच्चाइयों को हमारे सामने रखते उदय प्रकाश पटकथा लेखन में भी 'मास्टर' हैं। 'जादुई यथार्थवाद' के जादूगर उदय जी की यह पटकथा भूमण्डलीकरण, ध्रुवीकरण, भाषाओं के बदलते चरित्र और चित्रण के द्वन्द्व के बीच फँसे किरदारों का लेखा-जोखा है जिनसे हम और आप शायद रोज़ मिलते हैं, पर पहचानते नहीं। उन्हें गहराई से जानने के लिए एक ऐसी पटकथा की आवश्यकता पड़ती है जो अगले कुछ पन्नों में ख़ुद को प्रत्यक्ष कर रही है। किताब के अन्तिम पन्ने तक पहुँचते-पहुँचते हम देखेंगे कि आम आदमी और औरत आख़िर इतने आम भी नहीं कि उनका जीवन गुठलियों के भाव सस्ता मान लिया जाये। आख़िर कब हम सामूहिक- सामाजिक रूप से यह समझेंगे और मानेंगे कि एक आम गुठली ही उन तमाम फलों का स्रोत है जिसके दम पर दुनिया की कोई भी मण्डी सजती है ? उदय प्रकाश (जन्म : 1952) को भारतीय एवं अन्तरराष्ट्रीय साहित्य में विशिष्ट स्थान प्राप्त है। देश और विदेश की लगभग समस्त भाषाओं में अनूदित और पुरस्कृत उनका साहित्य बदलते समय और यथार्थ का प्रामाणिक और साहसिक दस्तावेज़ है। वे राष्ट्रीय चैनल, प्रसार भारती के लिए फ़िल्म निर्माण व निर्देशन कर चुके हैं तथा उनकी पटकथाओं पर फ़ीचर फ़िल्में बन चुकी हैं। राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फ़िल्मों की पटकथाएँ भी लिखी हैं जिसमें 'मोहनदास', 'उपरान्त' व 'नशीबवान' प्रमुख हैं। ‘साहित्य अकादेमी’, 'सार्क राइटर्स सम्मान', 'मुक्तिबोध सम्मान' आदि के अतिरिक्त उनकी रचनाओं के अनुवादों को भी कई केन्द्रीय और राज्य साहित्य अकादमी सहित कई महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हैं।
काल्पनिक कहानियां और साहित्य