विदेशी लेखकों ने भी चन्द्रगुप्त (सैन्ड्रोकोट्स) को नन्द वंश से अलग वंश का बताया है। इसके अलावा ब्रिटिश काल में लिखे गये डिस्ट्रक्ट गजेटियर साफ तौर पर लिखते है कि ’मौर्य’ शाक्य जाति की एक उपजाति है तथा आपस में अन्र्तविवाही है। इनकी अन्य उपजातियाँ हैः कोयरी, हरदिया, सैनी आदि। ये जातियाँ शूद्र नहीं है अपितु प्राचीन क्षत्रिय-इक्ष्वाकु कुल की है। वर्तमान समय में वे अन्य पिछडे़ वर्ग की है।
डॉ. आज्ञाराम शाक्य अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अलीगढ़(उ.प्र.) के समाजशास्त्र विषय के पूर्व अध्येता (MPhil, PhD) रहे हैं। ’सम्राट अशोक’-2018 व ’चन्द्रगुप्त मौर्य और उसका वंश’- 2021 के बाद ’चन्द्रगुप्त मौर्य और उसका धर्म’ उनकी तीसरी पुस्तक है। पहली दोनों पुस्तकों को पाठकों द्वारा ‘बेस्ट सेलर’ के रूप में पसन्द किया गया हैै।