समय साधना में परिवर्तन के अनुकूल होने के लिए किसी और पर नहीं बल्कि खुद पर ही निर्भर रहना है। यह आत्मज्ञान बता देता है कि यह ‘मास्टर की’ है। तब कितने ही आंधी-तूफान आएं समय प्रबंधक को मालूम रहता है कि हवा और मौसम सक्षम दिशा निर्देशक के ही हक में रहते हैं।