Dutta

· Diamond Pocket Books Pvt Ltd
E-knjiga
128
str.
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शरतचन्द्र भारतीय वांग्मय के ऐसे अप्रतिम हस्ताक्षर हैं जो कालातीत और युग संधियों से परे हैं। उन्होंने जिस महान साहित्य की रचना की है उसने पीढ़ी-दर-पीढ़ी पाठकों को सम्मोहित और संचारित किया है। उनके अनेक उपन्यास भारत की लगभग हर भाषा में उपलब्ध् हैं। उन्हें हिंदी में प्रस्तुत कर हम गौरवान्वित हैं। प्रस्तुत उपन्यास 'दत्ता' एक ऐसी युवती की कहानी जिसके पिता अपने एक मित्र के पुत्र के साथ उसका विवाह करने का वचन दे चुके थे। उस लड़के को उन्होंने डॉक्टरी पढ़ाने का सारा खर्चा देकर इंग्लैंड भेजा था। पिता के एक मित्र थे जो उनकी जमींदारी की देखरेख करते थे। उनका भी एक पुत्र है। पिता-पुत्र दोनों उस लड़की और उसकी सम्पत्ति को हथियाने के लिए उसके साथ विवाह निश्चित हो जाने की हजारों आदमियों के सामने घोषणा कर देते हैं और उस लड़के को रास्ते से हटाने की कोशिश करते हैं। अन्त में लड़की के सामने पिता-पुत्र की नीयत और चालबाजियां स्पष्ट हो जाती हैं और तभी उसे पता चलता है कि उसके पिता डॉक्टर युवक के साथ उसके बचपन में ही विवाह निश्चित कर गए थे। वह उसी के साथ विवाह करके अपने पिता के वचन की रक्षा करती है।

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