सुनील मिंज स्वतंत्र पत्रकार, लेखक, शोधकर्ता, चिंतक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता; आदिवासियों के मुद्दे पर दो सौ से अधिक शोधपरक आलेख लिखे। ‘तुम मुझे नहीं रोक सकते’ तथा ‘लुटती जिंदगी घुटता बचपन’ पुस्तकें प्रकाशित; कई पुस्तकों का संपादन किया। लेखन के लिए एन.एफ.आई. मीडिया फेलोशिप अवार्ड से सम्मानित। संप्रति : झारखंड ह्यूमन राइट्स मूवमेंट के अध्यक्ष। घनश्याम वरिष्ठ समाजकर्मी एवं पर्यावरण विशेषज्ञ। ‘एक तरीका’, ‘नगाड़ा’ तथा ‘जनवाणी’ मासिक पत्रिका के संयुक्त संपादक। ‘अभियान’ त्रैमासिक का संपादन। ‘दृष्टि-दिशा’, ‘जब नदी बँधी’, ‘झारखंड विचार पर विमर्श’, ‘तालाब झारखंड’, ‘देशज गणतंत्र’, ‘मरता पानी—मारता पानी’, ‘इंडिजिनोक्रेसी’ पुस्तकों का लेखन-संपादन। फैसल अनुराग वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिंतक एवं आदिवासी विषयों के विशेषज्ञ; ‘जनहक’ पत्रिका के संस्थापक संपादक। करीब बाईस पुस्तकों का लेखन व संपादन, जिनमें ‘झारखंड दिशुम गाथा’, ‘झारखंड का दार्शनिक एवं सांस्कृतिक विमर्श’, ‘संताल हूल : प्रतिरोध की चेतना’, ‘क्षेत्रीय पत्रकारिता के ग्लोबल फलक’, ‘सेक्यूलर भारत की विवेक चेतना बनाम सांप्रदायिक फासीवाद’ चर्चित।
Jharkhand Mein Sushasan by Faisal Anurag, Ghanshyam, Sunil Minz explores governance and development in Jharkhand. Understand the state government's efforts in public policy, socio-economic progress, infrastructure development, and welfare programs. Discover the challenges and achievements in regional development and inclusive growth.