Gaban

· Manjul Publishing
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Acerca deste livro eletrónico

सामाजिक परिवेश को दर्शाता प्रेमचंद का श्रेष्ठ उपन्यास हिंदी के महानतम साहित्यकारों की सूची हमेशा ही मुंशी प्रेमचंद के नाम के बिना अधूरी रहेगी. इस साहित्य सम्राट द्वारा लिखे गए उपन्यास ग़बन को उनकी सबसे लोकप्रिय रचनाओं में से एक माना जाता है. यह रामनाथ नाम के एक युवक की कहानी है जो नैतिक रूप से कभी स्थिर न रह पाने के कारण जीवन के सभी निर्णयों में कमज़ोर साबित हुआ. अपनी सुन्दर पत्नी जालपा की आभूषणों की चाह को पूरा करने के लिए, उसके व्यक्तिगत और आर्थिक दोनों पक्ष बिगड़ने लगते हैं और वह मुसीबतों में फंसता चला जाता है. इस उपन्यास के माध्यम से प्रेमचंद समाज के मध्यवर्ग का सजीव दर्पण प्रस्तुत करते हैं जो क्षणभंगुर दिखावट के लिए बहुत से स्वांग भरता है. इस कहानी में पाप-सम्मत समाज की असलियत भी दर्शाई गयी हैं, जिसमें सब कुछ है - चोरी, रिश्वतखोरी, झूठ, फ़रेब, हेरा-फेरी, विधवाओं की दुर्दशा और ग़बन. कहानी में प्रेमचंद ने समझौता-परस्त और महत्वकांशा से पूर्ण मनोवृति तथा पुलिस के चरित्र को बेबाकी से प्रस्तुत करते हुए कथा को जीवंत बना दिया है. यहाँ पारिवारिक जीवन का मनोविज्ञानिक चित्र भी है तथा नारी की आभूषणप्रियता और पुरुष का आत्मदर्शन भी. मध्यवर्गीय समाज की दुर्बलताओं को पति-पत्नी के जीवन में चरितार्थ करते हुए स्वाभाविक और यथार्थ कथा रची गयी है.

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Acerca do autor

प्रेमचंद (३१ जुलाई १८८० – ८ अक्टूबर १९३६) हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों में से एक रहे हैं। उनका मूल नाम 'धनपत राय' था पर उन्हें 'नवाब राय' और 'मुंशी प्रेमचंद' के नाम से भी जाना जाता रहा है। उपन्यास के क्षेत्र में उनके योगदान को देखकर बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया थाी I प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया। आगामी एक पूरी पीढ़ी को गहराई तक प्रभावित कर प्रेमचंद ने साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखी। उनका लेखन हिन्दी साहित्य की एक ऐसी विरासत है जिसके बिना हिन्दी के विकास का अध्ययन अधूरा होगा। वे एक संवेदनशील लेखक, सचेत नागरिक, कुशल वक्ता तथा सुधी (विद्वान) संपादक थे।

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