कार्यालयी संस्कृति के विशद इंद्रजाल से मोहित समाज की विवशता प्राय: लेखकों और कहानीकारों की लेखनी का विषय रही है; और कथाकारों ने व्यापक फलक पर इस संस्कृति के सच्चे व यथार्थ चित्र उकेरे हैं, जिनमें नैतिक मूल्यों के हास का रूपांकन करते समय उन्होंने कार्यालयी वास्तविकता केशों को अधिक-से-अधिक गहरा करने का प्रयास किया है ।
इस संग्रह में ऐसे ही कुछ विशिष्ट कथाचित्र समाविष्ट हैं ।