Grahon Ki Sthiti - Samasya Evam Samadhan

· Rajmangal Prakashan
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Sobre aquest llibre

इस पुस्तक में सुधी पाठकों को बताने का प्रयास किया गया है कि कैसे ग्रहों की स्थिति के कारण जीवन में समस्याएं पैदा हो जाती हैं और उनके ज्योतिषीय उपाय क्या हैं। लेखक विश्वनाथ प्रसाद 'विप्र' के विचारानुसार किसी भी व्यक्ति के जन्म के समय ग्रहों की स्थिति के जो प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ जाते हैं, वे जीवन भर बने रहते हैं। उनमें कुछ किसी खास समय विशेष में सक्रिय तो कुछ निष्क्रिय होते रहते हैं। ग्रहों की स्थिति एवं गुणों के अनुसार जैसा प्रभाव पड़ता है, वैसे ही मस्तिष्क में सोच विचार पैदा होने लगते हैं। जैसे विचार पैदा होते हैं, वैसे ही काम करने की प्रवृत्ति एवं रुचि पैदा होती है। जैसा काम करेंगे, वैसा फल मिलेगा -- यही ज्योतिष का मुख्य सिद्धांत है, और इसका ग्रह-दशा के जीवन पर प्रभाव के सिद्धांत से कोई विरोध नहीं है। इस तरह कहा जा सकता है कि किसी खास प्रकार की चीज़ को खाने पीने में रुचि, रहने पहनने का शौक़, सोचने समझने और निर्णय लेने की प्रक्रिया, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता, सामाजिक व पारिवारिक उत्तरदायित्व का बोध, आलस्य, अहंकार, स्वार्थ, कर्तव्यहीनता की भावना आदि के विचार भी ग्रहों की स्थिति से प्रभावित होते हैं। इस तरह कहा जा सकता है कि ग्रहों की प्रतिकूल स्थिति समस्या पैदा कर देती है एवं अनुकूल स्थिति मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए शुभ अवसर देती है।

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Sobre l'autor

विश्वनाथ प्रसाद 'विप्र ' एम.एससी. (फिजिक्स) ए.एम.आइ.ई (इलेक्ट्रॉनिक्स) रिटायर्ड सीनियर मैनेजर सेल, बोकारो स्टील प्लांट

 

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