Gyan Ka Marg: Most Valuable Bestseller eBooks

· Prabhat Prakashan
4.0
4 件のレビュー
電子書籍
160
ページ
評価とレビューは確認済みではありません 詳細

この電子書籍について

स्वामी विवेकानंद ने भारत में उस समय अवतार लिया, जब यहाँ हिंदू धर्म के अस्तित्व पर संकट के बादल मँडरा रहे थे। पंडित-पुरोहितों ने हिंदू धर्म को घोर आडंबरवादी और अंधविश्वासी बना दिया था। ऐसे में स्वामी विवेकानंद ने हिंदू धर्म को एक पूर्ण पहचान प्रदान की । इसके पहले हिंदू धर्म विभिन्‍न छोटे-छोटे संप्रदायों में बँटा हुआ था। तीस वर्ष की आयु में स्वामी विवेकानंद ने शिकागो (अमरीका) में विश्व धर्म-संसद में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया और भारत को विश्वगुरु के पद पर प्रतिष्ठित किया।

वे केवल संत ही नहीं थे, बल्कि एक धर्मरक्षक, संस्कृतिधर्मी, महान्‌ देशभक्त, ओजस्वी वक्ता, प्रखर विचारक, रचनाधर्मी लेखक और करुण मानवप्रेमी भी थे । अमेरिका से लौटकर उन्होंने देशवासियों का आह्वान करते हुए कहा था--''नया भारत निकल पड़े मोची की दुकान से, भड़भूजे के भाड़ से, कारखाने से, हाट से, बाजार से; निकल पड़े झाड़ियों, जंगलों, पहाड़ों, पर्वतों से ।

प्रस्तुत पुस्तक में स्वामीजी ने भारत सहित देश-विदेश में वेदांत धर्म और भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु देश भर के युवकों का आह्वान किया है। उन्होंने भारतीय समाज में गहरे पैठी असमानता की भावना के प्रति लोगों को सचेत किया है।

अनेक सवालों और जिज्ञासाओं की प्रतिपूर्ति करनेवाली एक प्रेरक, ज्ञानवर्धक व संग्रहणीय पुस्तक ।

評価とレビュー

4.0
4 件のレビュー

この電子書籍を評価する

ご感想をお聞かせください。

読書情報

スマートフォンとタブレット
AndroidiPad / iPhone 用の Google Play ブックス アプリをインストールしてください。このアプリがアカウントと自動的に同期するため、どこでもオンラインやオフラインで読むことができます。
ノートパソコンとデスクトップ パソコン
Google Play で購入したオーディブックは、パソコンのウェブブラウザで再生できます。
電子書籍リーダーなどのデバイス
Kobo 電子書籍リーダーなどの E Ink デバイスで読むには、ファイルをダウンロードしてデバイスに転送する必要があります。サポートされている電子書籍リーダーにファイルを転送する方法について詳しくは、ヘルプセンターをご覧ください。