कवि -ज्ञानेंद्र सिंह "ज्ञानू"
अपनी ज़िन्दगी से संतुष्ट, संवेदनशील किंतु हर स्थिति में सकारात्मकता के साथ हँसमुख ज़िन्दगी जीने की प्रवृत्ति। प्राथमिक शिक्षा का सफ़र उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिला धाता क्षेत्र के सरस्वती शिशु मंदिर से शुरू हुआ। सन 2002-2008 तक जवाहर नवोदय विद्यालय फतेहपुर, उत्तर प्रदेश से अपने भविष्य की प्रस्तावना लिखी। 11 साल सफलतापूर्वक भारत सरकार को सेवार्थ हो, लिखने का अजब शौक पाले मौज मस्ती के साथ ज़िन्दगी जिया। कल का पता नहीं। कवि होने का भ्रम पाल कर काव्य को अपना हुनर बनाया।
कवि - विपिन
ज़िन्दगी का शुरुआती दौर उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर शहर में बीता। अवध विश्वविद्यालय की चिरस्मरणीय यादों के साथ स्नातक कब हो गया पता ही नहीं चला। पिछले आठ सालों से केंद्रीय कर्मचारी के रूप में सेवार्थ।