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मेरे मित्र कपिल जी कविताएँ पढ़ते हुए ज़िन्दगी का एक मोहक रूप दर्पण की तरह सामने आ जाता है जिसमें पाठक अपना प्रतिबिम्ब देख सकते है। भावों की अभिव्यक्ति पूरी ईमानदारी के साथ कागज पर मुखरित हुई है। श्री कपिल कुमार की कविताओं के इस संग्रह "इश्क मुकम्मल" में ज़िन्दगी के मसाइल हैं तो साथ ही उनके सम्मुख पूरी ईमानदारी से जूझने की शब्दशक्ति भी है। उनका रचनाकार फरार का कायल नहीं है। वह कहीं भी अँधेरों में नहीं भटकता। वह न सिर्फ अपने लिए रास्ते तलाश करता है बल्कि औरों के लिए भी रोशनी देते हुए प्रेरणा का स्रोत बनता है। श्री कपिल कुमार की कविताएँ भी पाठकों को अपने बेहद करीब से गुजरते हुए महसूस होंगी। वो एक लम्बे अरसे से परदेश में रहते हैं। लेकिन उनकी कविताओं में अपने देश जी माटी की मीठी खुशबू उन्हें वतन के करीब कर देती है। एक बेहद व्यस्त जीवन जीने वाले वातावरण में उन्होंने अपने रचनाकार को बचाये ही नही रखा है बल्कि पूरी ईमानदारी से उसे ऊर्जावान बनाये रखा है ये उनके कौशल का हो प्रमाण है। -दिनेश रघुवंशी
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