Ishq Mukammal: Poetry

· Uttkarsh Prakashan
5.0
1 รีวิว
eBook
96
หน้า
คะแนนและรีวิวไม่ได้รับการตรวจสอบยืนยัน  ดูข้อมูลเพิ่มเติม

เกี่ยวกับ eBook เล่มนี้

मेरे मित्र कपिल जी कविताएँ पढ़ते हुए ज़िन्दगी का एक मोहक रूप दर्पण की तरह सामने आ जाता है जिसमें पाठक अपना प्रतिबिम्ब देख सकते है। भावों की अभिव्यक्ति पूरी ईमानदारी के साथ कागज पर मुखरित हुई है। श्री कपिल कुमार की कविताओं के इस संग्रह "इश्क मुकम्मल" में ज़िन्दगी के मसाइल हैं तो साथ ही उनके सम्मुख पूरी ईमानदारी से जूझने की शब्दशक्ति भी है। उनका रचनाकार फरार का कायल नहीं है। वह कहीं भी अँधेरों में नहीं भटकता। वह न सिर्फ अपने लिए रास्ते तलाश करता है बल्कि औरों के लिए भी रोशनी देते हुए प्रेरणा का स्रोत बनता है। श्री कपिल कुमार की कविताएँ भी पाठकों को अपने बेहद करीब से गुजरते हुए महसूस होंगी। वो एक लम्बे अरसे से परदेश में रहते हैं। लेकिन उनकी कविताओं में अपने देश जी माटी की मीठी खुशबू उन्हें वतन के करीब कर देती है। एक बेहद व्यस्त जीवन जीने वाले वातावरण में उन्होंने अपने रचनाकार को बचाये ही नही रखा है बल्कि पूरी ईमानदारी से उसे ऊर्जावान बनाये रखा है ये उनके कौशल का हो प्रमाण है। -दिनेश रघुवंशी

การให้คะแนนและรีวิว

5.0
1 รีวิว

ให้คะแนน eBook นี้

แสดงความเห็นของคุณให้เรารับรู้

ข้อมูลในการอ่าน

สมาร์ทโฟนและแท็บเล็ต
ติดตั้งแอป Google Play Books สำหรับ Android และ iPad/iPhone แอปจะซิงค์โดยอัตโนมัติกับบัญชีของคุณ และช่วยให้คุณอ่านแบบออนไลน์หรือออฟไลน์ได้ทุกที่
แล็ปท็อปและคอมพิวเตอร์
คุณฟังหนังสือเสียงที่ซื้อจาก Google Play โดยใช้เว็บเบราว์เซอร์ในคอมพิวเตอร์ได้
eReader และอุปกรณ์อื่นๆ
หากต้องการอ่านบนอุปกรณ์ e-ink เช่น Kobo eReader คุณจะต้องดาวน์โหลดและโอนไฟล์ไปยังอุปกรณ์ของคุณ โปรดทำตามวิธีการอย่างละเอียดในศูนย์ช่วยเหลือเพื่อโอนไฟล์ไปยัง eReader ที่รองรับ