1990 में, लेखक ने मूत्र चिकित्सा को अपनाया, जब उनके एक हितैशी ने उन्हें इसकी सलाह ओस्टियोआर्थराइटिस के उपचार के लिये दी थी। उनकी पत्नी दौपति भुरानी भी मूत्र चिकित्सा अपनाने के बाद तंत्रिका संबंधी बीमारी से ठीक हो गईं।1993 में लेखक व उनकी पत्नी ने प्रथम अखिल भारतीय मूत्र चिकित्सा सममेलन में भाग लिया। उन्होंने 2006 में "मूत्र चिकित्सा के लाभ" पर एक लेख लिखा। मूत्र चिकित्सा के सर्वोत्तम लाभ प्राप्त करने की विधि एवं तकनीक के लिये लेखक ने उपयुक्त शोध किया। उसके बाद से वे समाजसेवा के रूप में बीमारियों से जूझ लोगों को मुफ्त सलाह दे रहे हैं।