Jaishankar Prasad Granthawali Chandragupta (Dusra Khand Natak) - जय शंकर प्रसाद ग्रंथावली चन्द्रगुप्त (दूसरा खंड - नाटक)

· Diamond Pocket Books Pvt Ltd
৫.০
২টি রিভিউ
ই-বুক
140
পৃষ্ঠা
রেটিং ও রিভিউ যাচাই করা হয়নি  আরও জানুন

এই ই-বুকের বিষয়ে

जिस समय खड़ी बोली और आधुनिक हिन्दी साहित्य किशोरावस्था में पदार्पण कर रहे थे। काशी के 'सुंघनी साहु' के प्रसिद्ध घराने में श्री जयशंकर प्रसाद का संवत् 1946 में जन्म हुआ। व्यापार में कुशल और साहित्य सेवी - आपके पिता श्री देवी प्रसाद पर लक्ष्मी की कृपा थी। इस तरह प्रसाद का पालन पोषण लक्ष्मी और सरस्वती के कृपापात्र घराने में हुआ। प्रसाद जी का बचपन अत्यन्त सुख के साथ व्यतीत हुआ। आपने अपनी माता के साथ अनेक तीर्थों की यात्राएं की। पिता और माता के दिवंगत होने पर प्रसाद जी को अपनी कॉलेज की पढ़ाई रोक देनी पड़ी और घर पर ही बड़े भाई श्री शम्भुरत्न द्वारा पढ़ाई की व्यवस्था की गई। आपकी सत्रह वर्ष की आयु में ही बड़े भाई का भी स्वर्गवास हो गया। फिर प्रसाद जी ने पारिवारिक ऋण मुक्ति के लिए सम्पत्ति का कुछ भाग बेचा। इस प्रकार आर्थिक सम्पन्नता और कठिनता के किनारों में झूलता प्रसाद का लेखकीय व्यक्तित्व समृद्धि पाता। गया। संवत् 1984 में आपने पार्थिव शरीर त्यागकर परलोक गमन किया।

রেটিং ও পর্যালোচনাগুলি

৫.০
২টি রিভিউ

লেখক সম্পর্কে

 

ই-বুকে রেটিং দিন

আপনার মতামত জানান।

পঠন তথ্য

স্মার্টফোন এবং ট্যাবলেট
Android এবং iPad/iPhone এর জন্য Google Play বই অ্যাপ ইনস্টল করুন। এটি আপনার অ্যাকাউন্টের সাথে অটোমেটিক সিঙ্ক হয় ও আপনি অনলাইন বা অফলাইন যাই থাকুন না কেন আপনাকে পড়তে দেয়।
ল্যাপটপ ও কম্পিউটার
Google Play থেকে কেনা অডিওবুক আপনি কম্পিউটারের ওয়েব ব্রাউজারে শুনতে পারেন।
eReader এবং অন্যান্য ডিভাইস
Kobo eReaders-এর মতো e-ink ডিভাইসে পড়তে, আপনাকে একটি ফাইল ডাউনলোড ও আপনার ডিভাইসে ট্রান্সফার করতে হবে। ব্যবহারকারীর উদ্দেশ্যে তৈরি সহায়তা কেন্দ্রতে দেওয়া নির্দেশাবলী অনুসরণ করে যেসব eReader-এ ফাইল পড়া যাবে সেখানে ট্রান্সফার করুন।

Jaishankar Prasad এর থেকে আরো

একই ধরনের ই-বুক