जीवन के विविध अनुभव और सामाजिक उठापटक से प्रेरित होकर मैंने भटकते आध्यात्मिक, राजनैतिक ,धार्मिक,आर्थिक व सामाजिक आदि पाखंडों के प्रति पीड़ित हो कर जन जागरण के उद्देश्य से अपने माता - पिता तथा गुरु जनों की शिक्षा के सानिध्यमें इस काव्य सृजन की गुस्ताखी की है।यह कितनी सफल सिद्ध होगी?यह प्रिय पाठकों और आलोचक सुधि जनों की प्रतिक्रियाओं पर निर्भर करता है। अंतर मन की व्यथाओं,कुंथाओं और वेदना से मुक्ति पाने के उद्देश्य से मैंने यह सब लिख डाला है बस।