KHALI JAMIN VAR AAKASH

· MEHTA PUBLISHING HOUSE
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सर्व काही असताना काही न करणाऱ्याना आपल्या नाकर्तेपणाची जाण देणारी कर्मकहाणी

अनाथाश्रमात
जन्मलेला, रिमांड होममध्ये वाढलेला तो. त्यास आई-वडील नव्हते. जात, धर्म,
कुल, गोत्र, वंश, नातेवाईक अशा पारंपरिक अस्तित्त्वाच्या कसल्याही खुणा न
घेता, जन्मलेला तो एक 'नेम नॉट नोन' होता. त्याला नाव नव्हतं. होता एक
नंबर. (कैद्याला असतो तसा!) त्याचं बालपण प्रश्नग्रस्त होतं. कौमार्य
कुस्करलेलं. तारुण्य अव्हेरलं गेलेलं. तो वयात आला तसे त्याचे प्रश्नही
वयात आले. प्रश्नांनी त्याला प्रौढ केलं. प्रश्नांनीच त्याचं पालकत्त्व
पेललं. प्रश्नांनीच तो शिकला-सवरला नि सावरलांही! आज त्याच्या पुढे आहे
पर्यायांच्या प्राजक्तांचा सडा! सर्व काही असताना काही न करणाऱ्यां ना
आपल्या नाकर्तेपणाची जाण देणारी ही कर्मकहाणी आहे 'खाली जमीन वर आकाश.'
 

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