“पूनम तुम कैसी बुझी-बुझी बातें कर रही हो?” “हाँ योगेश, हमारे-तुम्हारे मध्य एक काँच की दीवार है, जिससे आर-पार देखा तो जा सकता है परंतु इस पार से उस पार नहीं जाया जा सकता।” “हम इस काँच की दीवार को तोड़ देंगे।” योगेश जोश में बोला। “योगेश काँच की दीवार के टूटने से जो काँच के टुकड़े टूटकर गिरेंगे, उससे हम, तुम और दूसरे लोग भी घायल हो सकते हैं। तुम मुझको भूल जाओ, मैं भी तुमको भूलने की कोशिश करूँगी।” “नहीं पूनम ऐसा नहीं हो सकता।”
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