वास्तव मे कलियों की सौगन्ध एक स्वर लहरी है।कैलाश चन्द शर्मा जी ने कविता के शब्दां को प्यार की सौगात बनाकर उपन्यास के कथानक मे ऐसा बाँधा है की मानव के जीवन के यथार्थ से सुगन्ध बिखेरता नजर आता है। ऐसा प्रतीत होता है मानो ‘शंकी’ जी ने यह कथानक अपने समक्ष जीता जागता देखा है और उसे ही अपने शब्दा के सौन्दर्य मे सजाकर श्रृंगारमयी बना दिया है। अपने प्रत्येक उपन्यास की तरह वे यहाँ भी अपनी रहस्यात्मक भाषा का मोह वो नहीं छोड़ पाए हैं। वैसे उनका यह कलियों की सौगन्ध पाँचवा उपन्यास है ‘शंकी’ जी दिल के समुद्र मे गहरे पैठ कर कलियों की सौगन्ध रूपी मोती निकाल कर लाये हैं।’’
Google Play থেকে কেনা অডিওবুক আপনি কম্পিউটারের ওয়েব ব্রাউজারে শুনতে পারেন।
eReader এবং অন্যান্য ডিভাইস
Kobo eReaders-এর মতো e-ink ডিভাইসে পড়তে, আপনাকে একটি ফাইল ডাউনলোড ও আপনার ডিভাইসে ট্রান্সফার করতে হবে। ব্যবহারকারীর উদ্দেশ্যে তৈরি সহায়তা কেন্দ্রতে দেওয়া নির্দেশাবলী অনুসরণ করে যেসব eReader-এ ফাইল পড়া যাবে সেখানে ট্রান্সফার করুন।